प्रदूषण गाथा
आज फिर दिल्ली हुई प्रदूषित आज फिर हुए हम चिंतितपर जब कटते हैं पेड़ तो, हम न विचलित होते।जब लगाते गाडि़यों का अंबार हम न विस्मित होते।जब खेलते पार्यावरण से, हम न कोई मनन करते।जब दूहते अंधाधुंध प्रकृति को, हम न कोई चिंतन करते।जब घरो में