पूछते हो कौन हैं वो।
तो सुनो
कौन हूँ मैं हूँ तेरे अंदर की आवाज।
जिसके कई प्रकार हैं
कभी हाँ कभी ना।
कभी सही कभी गलत।
कभी ये नहीं कभी वो नहीं।
कभी चाहता हूँ कभी नहीं चाहता हूँ।
कभी होगा कभी नहीं होगा।
कभी प्यार कभी नफरत।
कभी इज्जत कभी कभी शराफत।
कभी खुशी कभी गम।
कभी खुद से ही बाते करते हो ।
मन मे मचाती हैं हलचल।
जो बहुत होती हैं चंचल।
जो दिखाई नहीं देती लेकिन
महसुस करते हैं।
खुद ही रहते हो भ्रमित।
सोचो कौन हैं वो।
"मैं हूँ तुम्हारी अंतर आत्मा। "🙏🙏💥✨
:- नेहा 🌹🌹🌹