दिल को छु जाती हैं।
दिलों मे बस जाती हैं।
गाँव की माटी की महक
गैरों को अपना बना लेती हैं।
कहाँ हैं वो बात शहरों मे
अपनो को भी गैर बना देती हैं।
निवासी बन गए हैं शहरों का।
कहाँ पता चलता हैं दोपहरों का।
बारिश के रिमझिम फुहारे से
माटी भी महक फैलती हैं।
वो भी आज यादों की
बारात बन जाती हैं-