जब भी चमकती हैं उसकी बिंदिया।
यादे आते हैं सर पे वो तेल मालिश।
जब भी खनकती हैं उसकी चूड़ियाँ।
याद आते हैं उसकी हाथ के टेस्टी खाने।
जब भी ठुमकते हैं उसकी झुमके।
याद आते हैं उसके सुरिले गाने।
जब भी बजते हैं उसकी पाजेब।
याद आते हैं सेवा करने के दिन।
जब भी लटकती हैं उसके गले के हार।
याद आते हैं उसके प्यार करने के दिन।
पूरे हुए जेवर के ख्याब।
अच्छे गुण हो गए बेकार।
सैलरी काट काट बनाए थे जेवर।
बस जेवरों से करती हैं प्यार।
खाना भी गाना भी सेवा भी प्यार भी।
क्या थे वो दिन।