शनिवार।
02/07/2022
प्रिय सखि,
कल समर अवकाश के बाद स्कूल खुले कुछ अच्छा भी लगा और कुछ सुबह जल्दी उठने के सोच में रात नींद खुलती रही और आखिर 4:45 बजे उठ गई।पानी पिया फ्रैस होकर घूम कर आई। नाश्ता बनाया, लंच की तैयारी की और नहा धोकर जोत जलाई और फिर बच्चों के साथ चाय बिस्कुट लिए। तैयार होकर समय से पूर्व ही स्कूल आ गई। मतलब कि थोड़ा जल्दी उठने ने सारे कार्य को बड़े व्यवस्थित रूप से पूर्ण कर दिया और बिना किसी तनाव के समय से पहले ही
तभी बड़े लोग कहते भी हैं कि सुबह जल्दी उठना सारे दिन को व्यवस्थित कर देता है तो मैं यही कहूंगी कि अगर हमारी सुबह की शुरुआत समय पर और सही ढंग से हो जाए तो सारा दिन ठीक कटेगा और किसी प्रकार की कोई टेंशन है तनाव घर बाहर व्यवस्था बनाने में नहीं रहेगा।
हालांकि स्कूल में बच्चे कुछ ज्यादा नहीं आए थे और यह हम इतने साल के अनुभव से जानते हैं कि क्योंकि पहले दूसरे दिन बच्चे कम ही आते हैं और विशेष तौर से जब फ्राइडे सैटरडे को स्कूल पुनः खुलते हैं, तब बच्चे तब बच्चे कम आते हैं।अक्सर बच्चे मंडे को ही आते हैं।
बेटे जागृत ने भी अपने हॉस्टल जाना था तो जाते ही पति और छोटे बेटे को खाना दिया,तभी उसका दोस्त आ गया और सामान के साथ उसको दोस्त की गाड़ी में सामान रख विदा किया। उसके जाते समय मन कहीं कुछ द्रवित सा होगया परन्तु मैंने जाहिर नहीं होने दिया। दो महीने हास्टल में रहकर वह सवा महीने फिर साथ रहकर गया है क्योंकि परीक्षायें आनलाइन ही हुईं थीं।जब वह पहुंच गया और उसने फोन करके हमें बता दिया रात को डिनर के समय से फोन किया और आज सुबह स्कूल में ही उसका फोन आ गया था ठीक-ठाक है हालांकि आज और कल की छुट्टी है मंडे से पढ़ाई प्रारंभ होगी
यूं कल दिन कुछ खास अच्छा नहीं रहा।कल एक जो अहम बात रही वह सुप्रीम कोर्ट की नुपुर पर टिप्पणी जो मुझे बिल्कुल भी पसंद नहीं आई। मुझे लगता है की ऊपर जितनी इंटेलेक्चुअल संस्थाएं हैं
यूनिवर्सिटी कॉलेज प्रशासनिक संस्थाएं हो या फिर ज्यूडिशरी यहां पर ज्यादातर वामपंथी विचारधारा वाले लोग हैं जिन्होंने भारतीय संस्कृति को बहुत धक्का पहुँचाया है।अभी भी समय हैहमें सोचना होगा इस बारे में कि हम भारतीय संस्कृति और सभ्यता बचाने में अपना क्या योगदान कर सकते हैं। 🤔
प्रीति शर्मा"पूर्णिमा"
02/07/2022
बुद्धिजीवियों का कब्जा है