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"कुछ कहना है"

प्रीति शर्मा"पूर्णिमा"

3 अध्याय
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मन की बातें जो मन में यकायक आ जातीं और विचारों के प्रवाह में शब्द ढल जाते हैं। कविता रूप में और कोई मुद्दा समस्या, भाव एक रूप लेकर साक्षात हो जाते हैं।  

kuch kahna hai quot

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