"मेरी डायरी" भाग-1
पांच दिन पहले एक बड़ा ही वीभत्स तालिबानी हत्याकांड हमारे देश में हुआ।कोई भी दिल रखने वाला व्यक्ति करूणा और क्षोभ से भर जाएगा जिस दरिंदगी से उस व्यक्ति को मारा गया।
एक दलित शख्स की बेरहमी से हत्या कर दी गई।
ये वारदात कृषि कानूनों को रद्द कराने की मांग को लेकर सिंघू बॉर्डर पर धरना-प्रदर्शन वाली जगह (मुख्य स्टेज) के पीछे हुई है।दलित शख्स का शव बैरिकेड पर लटका मिला बताया जा रहा है।हत्या से पहले शख्स की बेरहमी के साथ पिटाई की गई है।इस दौरान उसका दाहिना हाथ भी काट दिया गया।इसके अलावा उसे घसीटने की भी बात कही जा रही है।मृतक की पहचान पंजाब के तरनतारन जिले के चीमा खुर्द गांव के लखबीर सिंह के रूप में हुई है।
चाहे कारण कुछ भी हो..?
कोई भी कारण इस तरह के जघन्य हत्याकांड को न्यायोचित नहीं ठहरा सकता है क्योंकि यह बर्बरतापूर्ण दुष्टता की पराकाष्ठा थी।ये हमें इतिहास में औरंगजेब की याद दिलाता है।
और तब से लेकर अब तक टीवी पर मैं विभिन्न डिबेट अलग-अलग चैनलों पर अलग अलग नेताओं के साथ देख सुन चुकी हूं जिनमें खुलकर किसी की भी हिम्मत नहीं हुई की इस जघन्य हत्याकाण्ड की निन्दा कर सकें।
जो अभी कुछ दिन पहले लखीमपुर खीरी में छाती पीटपीटकर रो रहे थे जबकि भीड़ ने तुरन्त ही (एक को छोड़कर जो भाग पाया) कुचलने वालों को पीट-पीटकर मार डाला था।
ये कैसी मानसिकता है??
अभी छत्तीसगढ़ में एक गाड़ी जो इतनी हाईस्पीड में थी कि देवीभक्तों से भरी सड़क पर उन्हें उडा़ती हुई भाग गयी, रुकी नहीं जबकि उसके मुकाबले लखीमपुर खीरी की गाड़ी कम स्पीड में थी और रुकते रुकते सड़क के साइड में हुई जिसमें साइड में खड़े लोग दब गये और वह रुक गयी और फिर क्या हुआ सबको पता है।
ये मैं सिर्फ तीनों घटनाओं के वीडियो को देखकर कह रही हूँ।कल्पना से नहीं।
तीनों घटनाओं में कितना अंतर है.?
और इन तीनों घटनाओं पर विभिन्न दलों के नेताओं की, सामाजिक संस्थाओं की, राजनीतिक विशेषज्ञों की और तथाकथित किसान नेताओं की कितनी अलग-अलग और दुर्भाग्यपूर्ण प्रतिक्रियाएं हैं।इससे उन सबकी घृणित राजनीति और निकृष्टतम मानसिकता का पता लगता है।
वो दिन कब आयेगा, पता नहीं जब देश के सभी नागरिकों को समान दृष्टि से देखा जायेगा, व्यक्तिगत लाभ-हानि के दृष्टिकोण से नहीं।
क्या हम इसपर चिन्तन मनन कर सकते हैं???
मन में और भी सवाल हैं लेकिन अभी जबाब की तलाश है!
अब तुमसे विदा लेती हूँ। इस आशा के साथ कि फिलहाल कोई और बुरी खबर घर-बाहर कहीं न मिले।
प्रीति शर्मा "पूर्णिमा "
19/10/2021