दिल तो बच्चा है जी" 🥰🥰🥰🥰
मुझे लगा कि बहुत ही रोचक विषय है यह। सच में दिल बच्चा है।हमारी उम्र तो बढ़ती जाती है,शरीर भी विकसित हो जाता है। विचार भी प्रौढ हो जाते हैं लेकिन इतने लंबे चौड़े शरीर के अंदर एक छोटा सा नन्हा सा दिल,प्यारा सा दिल।मजबूत हड्डियों की कैद में सुंदर,मुलायम सा, नाज़ुक गुलाबी रंग का खूबसूरत दिल❤️❤️❤️।
हमेशा धक-धक की आवाज करता,धड़कता ,अपने होने का अहसास कराता हुआ।उसके आकार रंग-रूप की कल्पना मात्र से ही दिल खुश हो जाता है। 🌹🌹
बच्चे का मतलब ही है बचपना और दिल भी हमारा है-बच्चा ,छोटा सा ,प्यारा सा....
तो बचपना तो करेगा ही ।अब किसी को भला लगे, बुरा लगे लेकिन बीच-बीच में यह बचपना कहीं ना कहीं, किसी न किसी मोड़ पर बाहर आ ही जाता है ।कई बार भूल जाते हैं हम, कि हम कितने बड़े हो गए। हमारे भी बच्चे हो गए, कई बार बच्चों के भी बच्चे हो जाते है....
याद ही नहीं रहता,वही बचपन वाली मांगे,शरारतें, चाहते,कल्पनायें ,चुलबुलापन,हंसी,खिलखिलाहट... ।यह सब... बचपन की आहट दिल में हमेशा जवान रहती है... समय मिलते ही बाहर कुदक आती हैं,जब मिलते हैं बचपन के साथियों से ।
फिर से वही कहकहे वही यादें, वही किस्से ,वहीं नोंक-झोंक, छेड़छाड़ और फिर कहीं बाद में एक छोटी सी कसक कि वह दिन कहां गए?
ठीक कह रही हूं मैं🤩🤩🤩
प्रीति शर्मा"पूर्णिमा"
26/10/2021