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"बच्चों की किलकारी हो गयीं गुम"

20 अक्टूबर 2021

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"बच्चों की किलकारी"विषय पर एक कविता   लिखी थी सुबह सुबह तो ये विषय दिमाग में बैठा हुआ था और सोचने को विवश कररहा था। 
 वास्तव में आज की भागती दौड़ती जिंदगी में किसी के पास बच्चों की किलकारियां सुनने का,उनकी बाल क्रीडा़ओं का आनंद उठाने का समय ही नहीं है।हर कोई अपने कामकाज में व्यस्त है,कोई नौकरी में,कोई अपने शौक में और बाकी बचा-कुचा समय मोबाइल लैपटॉप में.. और बात यहीं तक सीमित होती तो भी गनीमत थी लेकिन छोटे-छोटे बच्चों के हाथ में मोबाइल पकड़ा दिए जाते हैं ताकि वह उन्हें तंग ना करें और कार्टून,गाने और वीडियो में बिजी रहें।
अपनी सुविधा के लिए मां-बाप बच्चों के साथ कितना बड़ा अन्याय कर रहे हैं,यह शायद उन्हें खुद भी नहीं पता।

       ये इलैक्ट्रानिक्स खिलौने या यन्त्र बच्चों की आंखों के साथ-साथ उनके स्वास्थ्य पर प्रभाव तो डालते ही हैं उनके समूचे व्यक्तित्व और आगे के जीवन के लिए भी बहुत नुकसानदायक हैं।
बच्चों की किलकारियों,खिलखिलाहटों में,

नई नई बाल क्रियाओं को देखने में जो आनंद मां-बाप और घर के सदस्य महसूस करते थे,बैठना फिर घुटनों चलना फिर लड़खड़ा कर पकड़ कर चलना, उनकी हर बात पर अलग भावभंगिमायें देख कितने प्रसन्न होते थे..
वह सब जैसे कहीं खो सा गया है।

आज मां बाप सुख सुविधाओं के भरोसे या कामवाली या आया के भरोसे बच्चों को छोड़ रहे हैं और कल बच्चे भी उनको छोड़ करके कहीं बाहर उड़ जाएंगे... तब वह शिकायत करेंगे यह बच्चे हमें छोड़ कर चले गये.. लेकिन वह भूल जाते हैं कि जब बच्चों को उनकी बहुत जरूरत थी, तब वह उनको छोड़कर अपने कैरियर नौकरी आदि में व्यस्त थे। 

उनका ध्यान उस तरह नहीं रख पाये उनको वह संस्कार नहीं दे पाये... इस कारण वह बच्चों में अपनापन,लगाव उनके अंदर पैदा कर ही नहीं पा रहे हैं जो उनके अच्छे व्यक्तित्व के लिए आवश्यक है।
   कई बार ऐसे मामले भी देखने में आते हैं जब नौकरों ने बच्चों का प्रॉपर ध्यान नहीं रखा या बच्चों पर बहुत प्रेशर बनाकर,डरा कर रखा, उनका खाना, दूध, फल आदि खुद हजम कर लिया और कई बार पुरुष नौकर बच्चों का शारीरिक शोषण करते हुए भी पाए गए और

 मां-बाप अपनी लाइफ में इतने बिजी कि बच्चों के व्यवहार में आए परिवर्तन को भी नहीं देख पाते, बच्चे कुछ कहना चाहते हैं तो उनके पास सुनने का समय भी नहीं होता और इसकी परिणति अक्सर दुःखद होती है।
    ऐसा ही एक कांड था आयुशी वाला और भी बहुत से ऐसी घटना समाज में घटी हैं जहां नौकरों ने या किसी पहचानवाले या पड़ोसी ने बच्चों का फायदा उठाया और बच्चे गलत राह पर चले गए, मार दिए गए या उन्होंने सुसाइड कर दिया और बाद में माँ बाप अपने को कोसते रह गये।
"अब पछताये होत क्या
जब चिड़िया चुग गयी खेत"
ऐसे माता-पिता पर यही कहावत लागू होती है।

अतः सभी माता पिताओं और भविष्य में माता पिता बनने वाले युवाओं से आग्रह है बच्चे तभी करें जब उनके पास उनकी देखभाल के लिए समुचित समय और साधन हों। अपने जीवन के कुछ साल अपने बच्चों के लिए समर्पित करें, त्याग करें, लगाव व अपनापन विकसित करें और फिर उड़ान भरने के लिये छोडें पर फिर भी एक भावनात्मक डोर से बांधे रखें ताकि वो उडने के बाद भी आपसे जुड़े रहें। 
अब अपनी वाणी को विराम देती हूँ। 

 प्रीति शर्मा "पूर्णिमा"

20/10/2021 

Purnima

Purnima

सही लिखा 🙏🙏👌

22 अक्टूबर 2021

21 अक्टूबर 2021

Subhash Sharma

Subhash Sharma

Nice 🙏🙏

21 अक्टूबर 2021

Subhash Sharma

Subhash Sharma

Right said👌

21 अक्टूबर 2021

14
रचनाएँ
Priti Sharma की डायरी
5.0
नमस्कार 🙏🙏 डायरी लेखन में आज मैं तीन बार यहां आकर लिख चुकीं हूँ लेकिन पता नहीं प्रकाशन प्रक्रिया में क्या तकनीकी समस्या हुई या कोई त्रुटि रही कि प्रकाशन नहीं दिखा और अब एक बार फ़िर लिख रही हूँ। ये मेरा शब्द इन पर"जुलाई 2022 की डायरी लेखन" का प्रथम दिवस है और ये यात्रा कब तक जारी रहेगी ये भविष्य के गर्भ में है। 💐💐💐
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