आज एक खास बात हुई नॉर्मल पतिदेव पिक्चर वगैरह देखना पसंद नहीं करते।
हमने साथ-साथ बहुत कम पिक्चर देखीं हैं।वह भी मेरी वजह से या किसी और के साथ। हां टीवी पर मैं आगे पीछे देखती रहती हूं।लड़ाई झगड़े या रिश्तों में धोखाधड़ी की पिक्चर हो तो कहते हैं दिमाग को प्रदूषित करती हैं।इमोशनल हों तो कहते हैं कि मन खराब हो जाता है।
इस तरह सीरियल हो या पिक्चर खामियां ही नजर आती हैं।
लेकिन कुछ दिन से वो फेसबुक पर कुछ वीडियो देख रहे थे जिसमें एक पंजाबी पिक्चर"जिन्ने जामे सारे निकम्मे " और मुझे उसके बारे में बताने लगे।
और आज बेटे को बुलाकर नयी एल ई डी पर चलबाई।पिक्चर का विषय आजकल समाज परिवार में देखने को मिल रहा है,वही सब था।
चार बेटे होते हुए भी मां बाप अपने बूढ़े मां बाप के साथ अपना समय बिता रहे थे।बेटों के पास उनके लिए 10 मिनट भी नहीं थे।सब अपनी मौज मस्ती में मगन थे।
इसी बीच मां बाप की मुलाकात मां बाप की सेवा करने विदेश से नौकरी छोडकर आई एक लड़की से होती है तो वह सोचते हैं काश उनके भी एक बेटी होती ऐसे लड़कों का भी क्या फायदा जो मां-बाप की खोज खबर ही ना लें।
मां-बाप मोह में बच्चे के जन्मदिन पर उससे मिलने के लिए जाते हैं और बच्चे उन्हें पिक्चर हॉल में नौकर के साथ भेज देते हैं तो पिक्चर देखकर उन्हें आईडिया आया कि वह एक और बच्चा पैदा करें जिसके साथ उनकी जिंदगी के बाकी दिन गुजर जाएगें और इसके लिए उन्होंने डॉक्टर से मिलना जुलना अपनी हेल्थ आदि के बारे में पूछना,प्रेगनेंसी की तैयारी आदि में जुट गए।
और एक दिन जब बच्चों को पता लगा तो वह सब जुट गये कि किसी भी प्रकार मां-बाप ना मिल सके और अनेकों उपाय करते हैं। बाद में दुनिया समाज की परवाह,बदनामी आदि की बातें कह उन्हें रोकने की कोशिश करते हैं।
आखिर में बडे़ बेटे से उस लड़की की मुलाकात होती है और जब वह कहती है कि जब मां बाप की दुनिया बच्चे होते हैं तो उसीप्रकार बच्चों की दुनिया माँ-बाप क्यों नहीं हो सकते?
और फिर पिक्चर में इमोशनल टच आया।बच्चों को लगाकि वह अपने मां बाप के साथ गलत कर रहे थे और आखिर में वह मां-बाप की प्रेग्नेंसी को स्वीकार कर लेते हैं।
पिक्चर का समापन इस बात पर हुआ जब मां ने बताया कि वह कोई प्रेग्नेंट नहीं है। वह सिर्फ एक नाटक कर रहे थे।उनके लिए अपने चारों बच्चे ही उनका जीवन है।अपनी वजह से या अपने सुख के लिए वह उनका जीवन खराब नहीं कर सकते।
वास्तव में यह समस्या सभी जगह है,जहां बच्चे अपने कैरियर में इतने बिजी हो जाते हैं या अपने परिवार बच्चों में कि माँ-बाप के बारे में सोचने का उनके पास टाइम ही नहीं होता।
पिक्चर एक मैसेज देती है आज की पीढी को कि थोड़ा सा समय माँ बाप को भी दीजिए कि वो अपनेआप को अकेला न समझें।
आज पीढ़ी भी ये पिक्चर देखे और अपने माता-पिता के बारे में भी सोचे यही कामना है।
अब तुमसे मुलाकात का समय समाप्त करती हूँ।
प्रीति शर्मा "पूर्णिमा"
- 22/10/2021