प्यारी निराली डायरी
मेरी सखी सहेली हो।
जीवन संगिनी भी तुम
अनूठी अलबेली हो।।
भाव-विचार घर-संसार
कैसे दिन अपने काटूँ.?
हर बात कहूँ मैं तुमसे
दुःख सुख सदा ही बांटू!
चाहे हो हिसाब किताब
लेन-देन कामकाज का।
या फिर जीवन के सफर
की तय हुई राहों का।
कुछ कही कुछ अनकही जो
सब बस तुम्हें बताती हूँ।
अपनों से भी रखूं छिपा
वो भी बात बताती हूँ।।
प्रीति शर्मा "पूर्णिमा"
04/01/2022