कभी-कभी हम कुछ प्रार्थना करते हैं और फिर कबूल हो जाती है तो दिली खुशी मिलती है।
मैं कल शिवरात्रि पर मंदिर नहीं जा पाई।मन ही मन सोचा,काश! मैं भी जल चढ़ा पाती और जब रात खाने के बाद घूमने निकले तो पति को याद आया कि आज मंगलवार है और बेटे ने हनुमान जी को प्रसाद नहीं चढ़ाया।
बस हम चल पड़े तीनों मंदिर,फिर देखा कांवरिया शिवजी को गंगाजल चढा रहे हैं।मुझे लगा जैसे मेरी इच्छा पूरी हो गई और मैंने भी जल चढ़ाकर शिवजी का अभिषेक किया और महामृत्युंजय का जाप किया। फिर हनुमानजी किये और भोग लगाया व सभी भगवान के दर्शन किये और प्रशन्न होकर घर लौटी।
इसे कहते हैं जो सच्ची मनकामना थी वो पूरी हुई।
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प्रीति शर्मा "पूर्णिमा"
27/07/2022