मन के मीत
तन के श्रृंगार
मेरे यार तेरा प्यार
मधुर बंधन है।।
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प्रियतम का साथ
तेरी बाहों का हार
मधु -मधुर एहसास
मेरी धड़कन में
तेरा ही स्पंदन है ।
मन के मीत
तन के श्रृंगार
मेरे यार, तेरा प्यार
मधुर बंधन है।।
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तेरी एक नजर पर
बारी है सारी उमर
तेरी हर छुअन से
हारी हूं मैं मगर
समर्पण तन -मन का
तुझको ही अर्पण है ।।
मन के मीत,
तन के श्रृंगार
मेरे यार तेरा प्यार
मधुर बंधन है।।
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गंध तेरे तन की
संदल पवन सी,
वानी तेरी मादक
अमृत-सुधा सी ,
महकाय कलियां
मेरे मन उपवन की
मेरा खुद तुम्हें ही समर्पण है।।
मन के मीत
तन के श्रृंगार
मेरे यार तेरा प्यार
मधुर बंधन है।।
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प्रीति शर्मा "पूर्णिमा"
27/10/2021