लेखक को खोज रहती है मंच की तो मंच को खोज रहती है लेखकों की जो मंच की शोभा बढा सकें।
जहां बिना मंच लेखक का बजूद मुकाम नहीं पाता वहीं बिना लेखकों के मंच शून्य है।
मतलब यह कि दोनों एक-दूसरे के बिना अधूरे हैं।
मुझे इस मंच पर लेखन के लिए निमन्त्रित किया गया है ये मेरे लिए हर्ष की बात है और मैने इसे कुबूल किया। 🙏🙏🙏
अभी दो-चार दिन तो मैं व्यस्त हूँ लेकिन जल्दी ही पुस्तक प्रतियोगिता में भाग लेने की कोशिश करुंगी।
मुझे यहां मौका प्रदान करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद 🙏🙏💐💐💐
प्रीति शर्मा "पूर्णिमा"