पौराणिक कथा के अनुसार रावण एक ऐसा महाज्ञानी था जिसने 9 ग्रहों को अपने वश में कर लिया था और जब भगवान राम ने लंका जाने के लिए पुल बनाने की सोची, तो उन्हें रामेश्वरम में सबसे पूजा करानी थी। चूंकी उस समय धरती पर सबसे बड़ा पंडित रावण ही मौजूद था, तो राम ने उसे ही मंत्र दिया। रावण आया भी, लकिन पूजा के लिए राम की पत्नी यानी सीता का अस्तित्व भी जरूरी था। तब रावण ने अपने पुष्पक विमान से सितार को केवल पूजा में शामिल होने के लिए रामेश्वरम बुलाया था। रावण एक प्रकांड विद्वान और महान शिव भक्त था। भगवान शिव का भक्त होने के कारण उन्होंने पूजा से इंकार नहीं किया। पूजा के बाद वह माता सीता को अपने साथ श्रीलंका ले गए। रावण को संगीत का प्रेमी भी माना जाता है। कहा जाता है कि वह महान वीणा वादक था और उसने वीणा के कई स्वरूपों का इजाद भी किया था। शिव तांडव की शुरुआत भी राग से हुई! यही नहीं रावण को आयुर्वेद का भी ज्ञान था और चिकित्सा के क्षेत्र में उसने कई नई चीजों की शुरुआत की। उसने पूजा ही नहीं की बल्कि राम और वानर सेना को आशीर्वाद भी दिया। श्रीलंका की जनता में तो ये भी कहा जाता है कि रावण ने लड़ाई शुरू करने के लिए राम को शुभ मुहूर्त भी बताया था। .
कहो, ये केवल कहानियाँ नहीं हैं। सबूत हैं, एक समाज की महान विविधता की। राम, कृष्ण और दुर्गा के साथ रावण, दुर्योधन और महिषासुर तक को पूजे जाने का ऐसा उदाहरण शायद ही कहीं और देखने को मिला।