कमलेश कुमार शहर के सबसे बड़े उद्योगपति थे, उनकी तबीयत कई दिनो से बिगड़ी हुई थी , उन्हे बहुत बैचेनी रहती थी ,नींद की गोली लेने के बाद भी उन्हे नींद नहीं आती थी , वह बड़े से बड़े योग आश्रम ,ध्यान केंद्र , साधना केंद्र और दुनिया के सभी उपायों को अपना चुके थे उनके पास पैसे की कोई कमी नही थी , तो कोई भी ऐसी जगह या इलाज नही छोड़ा था जहां उन्हे ठीक होने की उम्मीद थी ,!!
अंत में वह जिन बातों को मानते नही थे और ढकोसला कहते थे , उन ज्योतिषों के शरण में भी गए एक अच्छे ज्योतिष ने उनसे पूछा *" आपने इतनी दौलत कैसे कमाई , किसी गलत मार्ग से तो नहीं कमाया ,*"!?
कमलेश के साथ के लोग भड़क उठे और ज्योतिषी के साथ हाथा पाई पर उतर आए ,कमलेश कुमार को उसे बचाना पड़ा और सबको वह डांट कर बाहर करते हैं , और फिर माफी मांग कर ज्योतिषी जी से कहता है ,*" यह सब बेवकूफ है , माफ करिए आप अब जो भी कहना चाह रहे हैं खुल कर कहिए , !!
ज्योतिषी कहते हैं *" मैने आपसे यह पूछा था कि आपने पैसे गलत तरीके से तो नही कमाए थे,*"!!
कमलेश कहता है ,*" जी नहीं उसने सब अपनी मेहनत और दिमाग से कमाया था ,*"!!
ज्योतिषी कहता है ,** आप आराम से सोचना मुझे कल फिर मिलेगा पर अकेले ही आइए ,**!!
वह पंडित जी को हजार रूपए देकर निकलता है ,, !!
रात में वह भोजन कर टहल रहा था वह सोच रहा था कि उसने कौन कौन से ऐसे गलत काम किए जिस से किसी को दुख पहुंचा हो , *"!!
उसे अभी कुछ वर्षो पहले की घटना याद आती है ,*उसने अपने ही एक वर्कर की ज़मीन हथिया लिया था और उसे पूरे पैसे नही दिया थे उल्टे अपने भाड़े के गुण्डो से पिटवाया भी था ,वह अपने मैनेजर से उस आदमी का पता लगाने को कहता है ,!!
दूसरे दिन सुबह सुबह वह उस आदमी के घर पहुंचता है ,वह सामने कमलेश को देख घबरा जाता है और कहता है,*" सेठ जी अब मैने क्या किया ,मैने तो तब से उस जमीन की ओर देखा भी नहीं ,*"!!
कमलेश कुमार उसका हाथ पकड़ कर कहते हैं ,*" भाई चाय पिलाओगे, मैं चाय पीने आया हूं ,*"!!
वह कहता है ,*" अगर मेरे घर मेरे पुराने सेठ आए हैं तो चाय क्या मैं खाना भी खिलाऊंगा ,*"!!
कमलेश उसका घर देखता है वह था तो सब ठीक ठाक ही ,पर उसने उसका हक मारा था और उसे भी मारा था ,फिर भी वह उसके साथ अच्छा ही व्यवहार कर रहा है , *!!
कमलेश कुमार उस से पूछता है *" भाई सब ठीक ठाक हैं ना , आज ऐसे तुमसे मिलने का दिल किया तो चला आया ,*"!!
वह कहता है *" सेठ जी मैने किसी का हक नहीं मारा है , और ना ही किसी को तकलीफ दी है मुझे अच्छी नींद आती है ,को भी है उसी में गुजर बसर कर खुश हूं जब से अपने मेरी जमीन हड़पी मैने बहुत करने का सोचना ही बंद कर दिया ,*"!!
कमलेश के मुंह पर तो जैसे तमाचा सा लगता है*", यह आदमी कितने आसानी से सारी बाते कह गया , वह मुझे इज्जत भी दे रहा है ,और सारी बाते भी कह दिया ,*"!!
कमलेश कुमार कहते हैं ,*" इस जगह की कीमत आज जानते हो कितनी है ,*"!!
वह कहता है ,*" छोड़िए ना सेठ जी , अब मैं उसके बारे में नही सोचता हूं , जो मेरा नही उसके बारे में बाते करके क्या फायदा , बैठिए मैं चाय लेकर आता हूं , *"!!
वह घर के अंदर जाता है , कमलेश सोचता है *" , यह आदमी मेरा गोडाउन सम्हालता था , एक दिन इसने कहा की सेठ जी मेरी एक जमीन थोड़े से विवाद में फसी हैं ,वैसे इसकी कीमत एक करोड़ की है, आप इस विवाद को निपटा दीजिए , और आधी कीमत देकर वह जमीन आप ही के लीजिए , *"!!
कमलेश जमीन देखता है ,तो वह खुश हो उठता है उसे एक ऐसे ही जमीन की जरूरत थी ,और उसमे विवाद भी कुछ खास नहीं था ,उसका भूमापन विभाग में अच्छी पैठ थी तो उसने चुटकियों में वह काम करवा लिया पर उसके मन में लालच आ गया था तो ,उसने अपने आदमी से सारे कागदी करवाई पूरी करवा कर 25 लाख देकर काम से भी निकाल दिया ,वह एक दो बार हंगामा करने की कोशिश किया तो उसे अपने गुण्डो से पिटवाकर , एक हफ्ते के लिए जेल भी भिजवा दिया बाद में इसने बहुत माफी मांगी तो छुड़वा दिया था,*"!!
वह चाय लेकर आता है , कमलेश के हिसाब से आज वह जमीन करीब चार करोड़ की हो गई थी , वह दो करोड़ रुपए कैश उस आदमी के पास रखता हैं और कहता है ,*" भाई मुझे माफ कर देना ,में तब शायद लालच में भटक गया था , !!
वह कहता है *"सेठ जी मुझे कुछ नही चाहिए ,*"!!
कमलेश को फिर जैसे तमाचा लगता है ,वह हाथ जोड़कर कहता है,*" भाई अगर ये पैसे नही लोगे तो मैं यहां से हिलूंगा नही *"!!
वह आदमी उनके सामने फफक फफक कर रो पड़ता है,वह जबरन उसे पैसे देकर जाते हैं ,!!
सेठ जी ज्योतिषी जी के यहां जाते हैं और कहते हैं,*" पंडित जी मैने अपनी एक गलती सुधार ली, *"!!
ज्योतिषी जी कहते हैं ,*" आप सच में भाग्यवान हैं जो इतने जल्दी समझ गए , अभी एक दो दिन और सोच लीजिए की और किसका किसका नुकसान आपकी वजह से हुआ है , उसके बाद मुझसे मिलिए ,*"!!
दी दिनो में कमलेश कुमार ने करीब बारह लोगो को बुलाकर उनके पैसे लौटा दिए वह लोग बहुत खुस हो गए और कमलेश को दुवाए देते हुए गए ,*"!!
तीन दिन में ही कमलेश की बेचनी बहुत कम हो गई थी , पर अब तक पूरी बैचेनी गई नही थी , वह खुद समझ गया था तो वह फिर याद करने लगता है की अब कौन रह गया ,वह रात में लेता हुआ अपने शुरुआती दिनों के बारे में सोचने लगा था ,तभी उसे झटका लगता है ,वह उठ बैठता है ,उसे बद्री की याद आती है ,बद्री नारायण उसका लंगोटिया यार दोनो ने ही मिलकर काम शुरू किया था और कमलेश ने उसके साथ धोखा कर के पूरा कारोबार हथिया लिया था , इसके इस हरकत से नाराज बद्री नारायण शहर ही छोड़ कर चला गया था , वह उसके कारण पूरी तरह बरबाद हो गया था ,और फिर उसने अपनी मेहनत और दिमाग से कारोबार को बहुत ऊंचाइयों तक ले गए थे , आज अरब पतियों में से एक हैं ,*"!!
आज वह जो भीं है उसी बद्री की बदौलत पर बद्री का क्या हाल है उसने कभी सोचा ही नहीं इतना ही नहीं उसने उसे पूरी तरह से भुला दिया था , तभी तो वह याद ही नहीं आ रहा था ,**!!
वह रात को ही अपने मैनेजर को कॉल करके बद्री का फ़ोटो और डिटेल्स देता है, और हर हाल में उसका पता लगाने को कहा ,*"!!
सोचते सोचते आज करीब दो वर्षो के बाद वह सोया था ,*"!!
सुबह नींद खुलते ही वह बहुत खुश होता है, वह अपने लेबल से भी बद्री का पता करने लगता है , पूरे दिन में उसे बद्री का पता नही चला था , तभी उसे याद आता है ,की बद्री हमेशा कहता था की मुझे पंचगनी बहुत पसंद हैं , पहाड़ियों के बीच बसा यह छोटा सा शहर उसे बहुत पसंद था , !!
कमलेश कुमार पंचगनी में स्थित अपने एक दोस्त को कॉल करता है और उस से बद्री का पता करने को कहता है ,!!
दो दिन बाद बद्री का पता चलता है , वह पंचगनी में एक होटल में मैनेजर था ,!!
बद्री एक छोटे से घर में रह रहा था साथ ही उसका परिवार भी था , वह अभी अभी होटल से लौटा था तभी उसके घर के सामने दो जगुवार कार आकर रुकती है , यह देख बद्री परेशान होता है , उसके दो बेटे भी उसी होटल में काम कर रहे थे ,वह गाड़ियों की ओर जाता है, उसमे से उसी के होटल का मालिक बाहर आता है बद्री उन्हे देख कहता है*" सर आप यहां मेरे घर के पास ,*"!!
वह कहता है *" तुमसे कोई मिलने आया है जो मेरा बहुत अच्छा मित्र हैं ,और शायद तुम्हारा भी था ,*"!!
दूसरी गाड़ी दरवाजा खुलता है ,सामने कमलेश को देख बद्री नारायण पहले तो पहचानता नहीं है क्योंकि उसकी पर्सनेलिटी हिबादक गई थी ,पर जब कमलेश पास आकर उसे गले लगाता है और उस से कहता है ,*" बद्री मुझे माफ कर दे भाई , मैने तुम्हे बहुत दुख दिया ,**!!
बद्री उसे देखते हुए कहता है,** ओहो कमलेश , बड़े जल्दी याद आ गई ,मुझे तो लगा था की तुम तो सब कुछ लाद कर ले जाने की तैयारी कर रहे होगे , में तो तुम्हे भूल ही गया था ,और अपने आप को किस्मत के सहारे छोड़ दिया था,*"!!
कमलेश कहता है ,*" भाई मुझे माफ कर दो , में तुम्हे फिर से पूरी कम्पनी का आधे का हिस्सेदार बना रहा हूं **!!
बद्री कहता है, *" में जहां हूं वहीं खुश हूं ,!!
कमलेश उसके पैर पकड़ लेता है और कहता है,*" नही मित्र मुझे अपनी भूलो का प्रायश्चित करने का मौका दो ,मुझ पर कृपा करो , तुम चाहो तो मैं तुम्हे पूरा कारोबार देने के लिए तैयार हूं ,*"!!
बद्री कहता है ,*" नही मित्र मैं तो जो भी काम रहा हम उसी में खुश हूं पूरा लेकर क्या करूंगा , ठीक है ,जब तुम इतनी दूर मुझे खोजते हुए आए हो तो , मैं तुम्हें माफ करता हूं, आओ घर में सभी लोग चाय पीते हैं , कमलेश बद्री को गले लगाता है, ,और उसे पार्टनरशिप के सारे कागजात साइन करवा लेता है , और फिर उसे साथ लेकर मुंबई जाता है , वहां पहुंच कर सारा बाकी करवाई पूर्ण करता है , जिस होटल में बद्री काम कर रहा था वह भी कमलेश की कंपनी का ही था , *"!!
आज रात बद्री के साथ होटल में लेटते ही कमलेश को बहुत अच्छी नींद आती है और उसकी बैचेनी भी दूर हो गई थी वह सुबह उठकर उस ज्योतिषी से भी मिलने जाता है ,और उसे भी अपनी कंपनी का परमानेंट पंडित बना देता हैं, वह समझ गया था ,किसी का हक मरने से कोई बड़ा आदमी नही बनता है और न ही उसे चैन आता है , बल्कि लोगो की सहायता करके और उनका साथ देकर हो चैन की नींद सो सकता है*"!!
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