कैसी हो मेरी प्यारी दोस्त दिलरुबा📚📚📕📒
हां मुझे उम्मीद है तुम बिल्कुल ठीक और खुश होंगी ठीक इसलिए कि मैं अपनी डायरी दिलरुबा को बहुत संभाल के जो रखती हूं और खुशी इसलिए भाई आज रक्षाबंधन का त्योहार जो है ।
पता है दिलरुबा रक्षाबंधन का त्यौहार राखी भाई बहन का प्यार !
हां दिलरुबा रक्षाबंधन बहन भाई के अट्टू प्यार का त्यौहार है.... क्यों मनाया जाता है? कब मनाया जाता है ? कैसे मनाया जाता है ?यह सारी बातें तो हम सभी लोग बचपन से पढ़ते और पढ़ाते आए हैं.... ।
आज तो मैं तुम्हारे साथ रक्षाबंधन से जुड़ा एक संस्मरण शेयर करने वाली हूं पता है दिलरुबा..... जब मैं क्लास सिक्स में पढ़ती थी मेरी तीन दोस्त हुआ करती थीं.... निशि, सुमन और पारुल हम तीनों बहुत पक्की सहेलियां थी जैसा कि मैंने तुम्हें पहले भी बताया था मैं बचपन से ही बहुत क्रिएटिव थी तरह-तरह की चीज बनाने का मुझे बहुत शौक था... जन्माष्टमी के दिन जिस तरहां से मैं कृष्ण जी के वस्त्र बनाया करती थी और अपनी दोस्तों के मंदिर सजाया करती थी इसी तरहां रक्षाबंधन पर भी मैं अपनी दोस्तों के लिए अपने हाथ से बहुत खूबसूरत राखी बनाया करती थी.... जिसे देखकर वह खुशी से उछल पड़ती थीं।
और सबसे ज्यादा ख़ुशी तो मुझे इस बात की होती थी कि जब वह राखी बड़े प्यार से अपने भाइयों के हाथ पर बांधती थीं तो मैं उनके साथ हुआ करती थी।
सारे त्यौहार हम लोग मिलकर मनाते थे और मैं पूरे दिन उनके यहां रहा करती थी वह लोग भी मेरे हर त्यौहार में मेरे साथ हुआ करते थे। बहुत मजा आता था दिलरुबा।
आज भी बहुत याद आते हैं दिलरुबा मुझे वह दिन ... और मैं अपने दिल में सोचती हूं...काश कोई लौटा दे मेरे बीते हुए पल..... इतना ही नहीं दिलरुबा मेरी बनाई हुई राखी सबको बहुत अच्छी लगती थी। तब मैंने सोचा क्यों ना मैं अपनी सभी दोस्तों को सुंदर-सुंदर राखियां बनाकर भेंट कर दूं और तब से मैं अपने क्लास की सभी लड़कियों के लिए डिब्बा भर के राखियां बनाती और सभी को दे दिया करती थी।
अपनी मनपसंद राखियां लेकर मेरी दोस्त बहुत खुश हुआ करती थीं और वह भी सीखने की कोशिश करती थी... कोई चीज अपने हाथ से बनाने की खुशी ही अलग होती है।
एक बात बताऊं दिलरुबा... मैंने बचपन से ही यह बात जान ली थी जो खुशी दूसरों की खुशी में खुश होने पर मिलती है वह बड़ी अनमोल होता है... कुछ लोग ऐसे भी थे जो मुझसे कहते थे क्यों अपना टाइम वेस्ट करती है और मेरा जवाब होता यह यह करने से मुझे बहुत खुशी मिलती है और मेरी मम्मी बिना कुछ कहे मुझे अपने गले लगा लिया करती थी।
अब मेरी वह दोस्त तो दुनिया की भीड़ में न जाने कहां-कहां होगी पर मैं उनको आज भी बहुत याद करती हूं।
ख़ैर छोड़ो दिलरुबा इन बातों को.... कितना प्यारा गाना बज रहा है
सुन रही हो दिलरुबा इस गाने को ..... अरे फिर मैं भूल तुम कहां कुछ सुन सकती हो ......तुम तो मेरी प्यारी डायरी होना..... तुम तो मेरी कहीं हर बात अपने कोरे पन्नों में लिख लेती हो ....और डिजिटल होने की वजह से मिनट भर में मेरा लिखा दुनिया तक पहुंचा देती हो,, ख़ैर मैं बात कर रही थी गाने की...!
ये गाना भले ही पुराना है पर दो लाइनों में रक्षाबंधन के पवित्र त्योहार को बख़ूबी समझा देता है।
बहना ने भाई की कलाई से प्यार बाँधा है
प्यार के दो तार से, सँसार बाँधा है
रेशम की डोरी से सँसार बाँधा है
बहना ने भाई की कलाई पर प्यार बांधा है
आओ दिलरुबा अपने सभी दोस्तों बहन भाइयों को रक्षाबंधन की बधाई देते हैं
आओ दिलरुबा एक साथ मिलकर कहते हैं सभी लोगों को रक्षाबंधन की ढेर सारी शुभकामनाएं और बधाइयां!

फिर आऊंगी किसी दिन आप सबके साथ नया पुराना शेयर करने के लिए तब तक के लिए मुझे दे इजाज़त आपकी दोस्त
सय्यदा खा़तून ✍🏼