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नसीबन की रोटी

20 सितम्बर 2017

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गली में उसी घर धमाका हुआ ,

कई रोज से जिसमें फाँका हुआ ।


जमाने को आतिश का धोखा हुआ ,

हकीकत सुनी तो सनाका हुआ ।


वो मासूमों के पेट की आग थी ,

उसी की तपिश का तमाशा हुआ ।


नसीबन' की रोटी दबी गिद्ध पांव ,

छुडाई तो इज्जत का टांका हुआ ।


वो खुद्दारी की आग में जल गई ,

कलेजा फटा तो फटाका हुआ ।


सियासत की चादर को लाशों पे डाल ,

वो सब पूँछते हैं ,कहां क्या हुआ ?

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