सूर्य को जल चढ़ाने के लिए एक तांबे का लोटा ले लें। उसमें शुद्ध जल ले लें, थोड़े चावल के दाने डाल लें, थोड़ी रौली डाल लें एवं थोड़ा सा गुड़ का टुकड़ा डाल लें।
तदोपरान्त सूर्य को जल चढ़ाते समय अर्थात् जल का लोटा खाली होने तक अधोलिखित सूर्य के द्वादश नामों का जाप करें-
ॐ मित्राय नमः aum mitrāya namah
ॐ रवये नमः aum ravayé namah
ॐ सूर्याय नमः aum sūryāya namah
ॐ भानवे नमः aum bhānavé namah
ॐ खगय नमः aum khagāya namah
ॐ पुष्णे नमः aum pushné namah
ॐ हिरण्यगर्भाय नमः aum hiranyagarbhāya namah
ॐ मारिचाये नमः aum mārichāyé namah
ॐ आदित्याय नमः aum ādityāya namah
ॐ सावित्रे नमः aum sāvitré namah
ॐ अर्काय नमः aum ārkāya namah
ॐ भास्कराय नमः aum bhāskarāya namah
सूर्य को जल सदैव प्रात:काल में चढ़ाएं। 6 से 7बजे प्रात: का समय उपयुक्त है।
अधिक विलम्ब से न चढ़ाएं। अधिकाधिक आठ बजे तक जल अवश्य चढ़ा लें।
सूर्य को जल चढ़ाते समय सीधा उसे न देखें। सूर्य को जल चढ़ाते समय जल की जो धारा आप बनाते हैं उसमें सूर्य रश्मियों या सूर्य के दर्शन करें।
जल चढ़ाने के उपरान्त सूर्य देवता से अपने समस्त गलतियों की क्षमा याचना करते हुए उनसे प्रार्थना करें-
'हे सूर्य देव! मुझसे जो भी भूलचूक हो गई हैं या मैंने जो गलतियां की हैं, कृपया उन्हें क्षमा कर दें। मुझे स्वास्थ्य प्रदान करें। मेरे नेत्रों के समस्त कष्ट दूर करते हुए उसमें ज्योति बढ़ाएं। स्वयं सदृश मेरा यश बढ़ाएं। मुझ पर अपनी कृपा सदैव बनाएं रखें। मुझे आशीर्वाद दें जिससे मैं अपना मनुष्य जीवन सार्थक कर पाऊं।'