सूर्य को जल चढ़ाने के लिए एक तांबे का लोटा ले लें। उसमें शुद्ध जल ले लें, थोड़े चावल के दाने डाल लें, थोड़ी रौली डाल लें एवं थोड़ा सा गुड़ का टुकड़ा डाल लें। तदोपरान्त सूर्य को जल चढ़ाते समय अर्थात् जल का लोटा खाली होने तक अधोलिखित सूर्य के द्वादश नामों का जाप करें- ॐ मित्राय नमः aum mit
क्या हमें, बच्चों या पशु-पक्षियों को पूर्वाभास हो जाता है? भविष्य में घटने वाली घटनाओं का पूर्व में ज्ञान हो जाना ही पूर्वाभास है। कुछ लोगों को अपनी मृत्यु से पूर्व ही ऐसा लगने लगता है कि मेरी मृत्यु समीप है। इसी को पूर्वाभास कहते हैं। कुछ लोग पूर्वाभास को दैवीय संकेत कहते हैं। पूर्वाभास स्वप्न
हमारे देश में प्रत्येक मन्दिर में पीपल की पूजा होती है। पीपल की पूजा क्यों होती है? यह प्रश्न ऐसा है जिसका उत्तर सभी जानना चाहते हैं। आज इस बात की चर्चा करेंगे जिससे कि आप यह जान सकें कि पीपल की पूजा क्यों होती है। एक कथा लोक चर्चित हैं जो इस प्रश्न का उत्तर स्वतः बता देती है। अगस्त्य ऋषि
क्या आपको पता है कि सूर्य को जल क्यों चढ़ाते हैं? प्राय: उगते सूर्य को अर्ध्य देने (जल चढ़ाने) का महत्व है। इसके अनेक लाभ बताए गए हैं। ज्योतिष की दृष्टि से सूर्य देव प्रसन्न होते हैं। जब किसी कुंडली में सूर्य की अन्य ग्रहों के साथ युति होती है और यदि दोनों ग्रहों के मध्य 15 अंश तक का
जब किसी स्त्री के तीन कन्या के उपरान्त लड़के या लड़की का जन्म हो तो इस त्रिखल दोष कहते हैं त्रिखल दोष अशुभ होता है। लड़के का जन्म हो तो पिता को भय, रोग एवं धनहानि होती है। लड़की का जन्म हो तो माता को कष्ट होता है। यदि आपके संज्ञान में त्रिखल दोष हो तो निज पुरोहित से इसकी शान्त
स्वर दो होते हैं-सूर्य स्वर(दायां) और चन्द्र स्वर(बायां)। सूर्य स्वर दाएं नथुने से और चन्द्र स्वर बाएं नथुने से आता-जाता रहता है। दोनों स्वर ढाई-ढाई घड़ी में बदलते रहते हैं। जिस नथुने से श्वास अधिक तेजी से अन्दर जाए या निकले वह स्वर चल रहा होता है। आप यात्रा करने जा र
जब कोई व्यक्ति मृत्यु शय्या पर पड़ा होता है, किसी असाध्य रोग से पीड़ित होता है, ऊपरी प्रभाव या हवाओं से निरन्तर रोगग्रस्त रहता है या अचानक दुर्घटना के कारण मृत्यु की घड़ियां गिन रहा होता है तो कहते हैं कि महामृत्युंजय मन्त्र का पाठ करा लो। इससे मृत्यु भी टल जाती है। मन्त्र के लिए कह सकते हैं
यदि आपके विवाह में विलम्ब हो रहा है और बिना बात की बाधांए आ रही है, काम बनते बनते बिगड़ रहा है! प्रयास कर-कर के थक गए हैं तो इस बाधा व विलम्ब को दूर करने के लिए एक अनुभूत प्रयोग बता रहे हैं। इस प्रयोग से विवाह की बाधाएं दूर होती हैं, विवाह होने का मार्ग प्रशस्त होता है और अच्छे व सम्पन्न परिवारों
आप को बता दें कि सृष्टि के प्रारम्भ में ब्रह्मा जी के मुख से ॐ शब्द प्रकट हुआ था वही सूर्य का प्रारम्भिक सूक्ष्म स्वरूप था। तदोपरान्त भूः, भुव तथा स्व शब्द उत्पन्न हुए। ये तीनों शब्द पिंड रूप में ॐ में विलीन हए तो सूर्य को स्थूल रूप मिला। सृष्टि के प्रारम्भ में उत्पन्न होने से इसका नाम आदित्य पड
अंगुलियों में जड़े नाखुन भी कुछ कहते हैं, यह कभी नहीं सोचा होगा आपने। आज नाखुनों की चर्चा करते हैं। मानव की ऊर्जा हमेशा खर्च होती रहती है, ऐसी स्थिति में उसे आहार की आवश्यकता होती है। आयुर्वेद के अनुसार व्यक्ति के भोजन से रस बनता है रस से मांस, मांस से मेदा, मेदा से मज्जा, मज्जा से शुक्र बनत