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पंचक है क्या बला?

16 जून 2016

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    धनिष्‍ठा से रेवती तक के पांच नक्षत्रों (धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वा भाद्रपद, उतरा भाद्रपद एवं  रेवती) को  पंचक  कहते   हैं। पंचक का अर्थ ही पांच नक्षत्रों का समूह है। दूसरे शब्‍दों में कह सकते हैं कि कुम्भ व मीन में जब चन्द्रमा रहते हैं, उस अवधि को पंचक कहते है। पंचक काल सदैव सब  कामों के लिए  अशुभ  नहीं होता है। 

    पंचक में पांच कार्य करने सर्वथा वर्जित माने जाते है-

    1-इसमें तृण काष्‍ठादि ईंधन एकत्र करना।

    2-इसमें दक्षिण दिशा की यात्रा करना।

    3-इसमें घर की छत डालना।

    4-इसमें चारपाई बनवाना।

    5-इसमें शव का अन्तिम संस्कार करना।

    उक्‍त पांचों कार्यों को करना शुभ नहीं माना जाता है। ऋषि गर्ग के अनुसार शुभाशुभ जो भी कार्य पंचकों में किया जाता है, वह पांच गुणा करना पडता है। स्‍पष्‍ट है कि इन नक्षत्र समय में इनमें से कोई भी कार्य करने पर, उक्त कार्य को पांच बार दोहराना पड सकता है। कहते हैं कि उक्‍त कार्य करने से धनिष्‍ठा नक्षत्र में  अग्नि का भय रहता है, शतभिषा नक्षत्र में कलह होती है, पूर्वा भाद्रपद में रोग होता है, उतरा भाद्रपद में धन के रूप में दण्‍ड होता है एवं  रेवती में धन की हानि होती है।

    वस्‍तुत: पंचक नक्षत्र समयावधि में निम्‍न कार्य नहीं करने चाहिएं-लकडी तोडना, तिनके तोडना, दक्षिण दिशा की यात्रा, प्रेतादि- शान्ति कार्य, स्तम्भारोपन, तृण, ताम्बा, पीतल, लकडी आदि का संचय , दुकान, पद ग्रहण व पद का त्याग करना अशुभ है, मकान की छत, चारपाई, चटाई आदि बुनना भी त्याज्य होता है। विशेष परिस्थितियों में ये कार्य करने आवश्यक हों तो किसी योग्य पंडित से पंचक शान्ति करवा लेने चाहिएं।

     मुहूर्त ग्रन्थों के अनुसार विवाह, मुण्डन, गृहारम्भ, गृ्ह प्रवेश, वधू- प्रवेश, उपनयन आदि में इस समय का विचार नहीं किया जाता है और रक्षा-बन्धन, भैय्या दूज आदि पर्वों में भी पंचक नक्षत्रों का निषेध के बारे में विचार नहीं किया जाता है।

     यदि किसी व्यक्ति की मृत्‍यु पंचक अवधि में हो जाती है तो दाह के समय पंचक शान्ति अवश्य करनी चाहिए। आटे या कुशा से पांच पुतले  बनाएं। पुतले  लपेटने के लिए ऊन के धागे का प्रयोग  करना चाहिए। बाद में जौ के  गीले आटे का लेप लगाने के बाद  शव को चिता पर लिटाने के  उपरान्त पांच पुतले  नाम  लेकर इस प्रकार रखने चाहिएं-

1. मैं प्रेतदाह को स्थापित करता हूं ! 

2. मैं प्रेतसखा को स्थापित करता हूं! 

3. मैं प्रेतपति को स्थापित करता हूं! 

4. मैं प्रेतभूमि को स्थापित करता हूं! 

5. मैं प्रेतहर्ता को स्थापित करता हूं!

 इन पांचों पुतलों का भी शव के साथ पूर्ण विधि-विधान से अन्तिम संस्कार किया जाता है। इसी को पिण्‍ड दान कहते हैं। यह इसलिए करते हैं कि परिवार में बाद में लगातार और मृत्‍यु न हों।



डाॅ कंचन पुरी

डाॅ कंचन पुरी

पंचक के विषय में जो संशय था वह दूर हो गया

16 जून 2016

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jyotishniketan
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16 सितम्बर 2017
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आज की वीडियो में एक सरल उपाय बताएंगे जिससे गर्भावस्‍था में सबकुछ ठीक रहे व जच्‍चा-बच्‍चा स्‍वस्‍थ रहें और डिलीवरी भी नार्मल हो। यदि आपने अभी तक आपने हमारे चैनल को सबस्‍क्राईब नहीं किया है तो अवश्‍य करें और नयी ज्ञानवर्धक, प्रेरणास्‍पद्, मनोरंजक और जीवनोपयोगी वीडियो की जान

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