हम आज भी शतरंज़ का खेल अकेले ही खेलते हे , क्युकी दोस्तों के खिलाफ चाल चलना हमे आता नही ..।
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तू ना सही तेरी याद सही तेरी यादों के सहारे जी लेंगे ....हम तुझको भुला ना पाएंगे हम तुझको रुला ना पाएंगे सह लूंगा सितम खुद सारे तेरी यादों के सहारे जी लेंगे ।...तू ना सही तेरी याद सही तेरी यादों के सहारे जी लेंगे ....कहते हैं लोग ज़माने के वो लोग अधूरे होत