मेरी शायरी😍😍
हर सुबह सोचती हूँ, हर रात सोचतीं हूँ
फ़िर भी ख़बर नहीं हैं, क्या बात सोचतीं हूँ
कहने को मिलते थे, हर रोज ही हम तुम
होते थे तुम भी ख़ामोश, रहतें थे हम भी गुमसुम
खुलकर करेंगे जब बात, वो लम्हात सोचतीं हूँ
फ़िर भी ख़बर नहीं हैं, क्या बात सोचतीं हूँ
देखें ना कोई तुमको, मै निग़ाहों में बसा लूँ
धड़कन के बहाने, तुम्हें दिल में बसा लूँ
सिर्फ एक बार प्यारी सी, मुलाकात सोचतीं हूँ
फ़िर भी ख़बर नहीं हैं, क्या बात सोचतीं हूँ😍😍