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मेरी शायरी😍😍 हर सुबह सोचती हूँ, हर रात सोचतीं हूँ फ़िर भी ख़बर नहीं हैं, क्या बात सोचतीं हूँ कहने को मिलते थे, हर रोज ही हम तुम होते थे तुम भी ख़ामोश, रहतें थे हम भी गुमसुम खुलकर करेंगे जब बात, वो