पहली पहली बारिश , करती है आप से गुजारिश,जरा भीग के तो देख,पूरी हो जाएगी सारी ख्वाहिश।मै तो तुझे कर दूंगी सरोबार,गर सर्दी खांसी हो गई तो हो जाएगा क्वारेंटाइन,दूर हो जाएगा घर बार।
दिन सर्दी के भीने भीने भोर सुहानी रेशम जैसे।माँ की ममता जेसे मीठी सर्दी के दिन भी हैं वैसे। धूप सुहानी सर्दी की यह थिरक रही आँगन में ऐसे। फूल-फूल पर मंडराती है नन्हीं मुन्नी तितली जैसे। इसकी छुअन बड़ी अलबेली छू लेती है मन को ऐसे।गंगा-जल