क्या क्या जलवे कर अब दिखाने लगा है,
आदमी,आदमी ही खुदाको बनाने लगा है ||
आईना बन कर मे सामने क्या गया ,
देखकर मुझेवो बौखलाने लगा है ||
जिस पर खुद से भी अधिक भरोसा किया ,
राहोमे वही कॉँटे बिछाने लगा है ||
जख्म यादो के भरने लगे थे मगर ,
फिरसे जालिम याद आने लगा है ||
देख हाल सरकारी स्कूलों का ,
आपने बच्चो को मे खुद से पढ़ाने लगा है ||
पुष्पा कुमारी