शब्द की गहराई
अथाह होती है
समा जाती हैं
सारी चीजें
इन शब्दों में।
हर्ष,विषाद
ईर्ष्या, भावनाएँ
मधुरता,संवेदना
और सब कुछ।
फिर भी लाचार
हो जाते हैं शब्द
कभी-कभी
जब वेदना और कष्ट को
अपनी परिधि में
नहीं रख पाते।
टूट जाते हैं शब्द
फट जाते हैं अक्षर
जब दर्द बड़ा होता है
वेदना बड़ी होती है।
शब्द विवश होकर
टूटते हैं और
अक्षर फटते
नज़र आते हैं
चीखते नज़र आते हैं।
-अनिल मिश्र,प्रकाशित