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श्रीमद्भागवत कथा,शुकदेवजी का जन्म

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आचार्य शुकदेवजी बारह वर्षों तक मातृगर्भ में रहे, गर्भ को ही जिन्होंने मन्दिर बना दिया, मैं आपको बहुत स्पष्ट रूप में कह दूं, आपने अपने मन पर काबू पाया है तो आप अपने घर में रहकर भी मुक्ति पा सकते है और

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