प्रणाम सिस्टर, होली के त्यौहार का महत्व हमे समझना चाहिए। होली के एक दिन पूर्व होली जलाई जाती है ।लकड़ी,कन्डा या घास फुस को एकत्र कर जलाया जाता है। हमे इस आग में अपनी बुराइयां व
धनतेरस पर धनिया, झाड़ू और नमक क्यों खरीदना चाहिए ? यह चीजें खरीदना शुभ होता है। धनिया खरीद कर क्यारी मे बिखेर दीजिए जैसे जैसे वह बढेगी या कम बढेगी या नही बढेगी उसी तरह यह आपके पास धन आने का सूच
तुलसी जी , पौधा नहीं जीवन का अंग है 1. तुलसी जी को नाखूनों से कभी नहीं तोडना चाहिए,। 2.सांयकाल के बाद तुलसी जी को स्पर्श भी नहीं करना चाहिए । 3. रविवार को तुलसी पत्र नहीं तोड़ने चाहिए ।
आज फिर दिवाली आई हैदेखो-देखो किस तरह अन्धकार पर रोशनी छाई है ,हर आवास में खुशियों का आवास है,हर आवास में जलता दिया नई उम्मीदों का आगाज़ है,आज फिर दिवाली आई हैदेखो देखो लक्ष्मी घर आई हैस्वादिष्ट भोजन क
व्रज 84 कौस - 66 अरब तीर्थवृंदावन, मथुरा, गौकुल, नँदगांव, बरसाना, गोवर्धन सहित वें सभी जगह जहाँ श्री कृष्ण जी का बचपन बीता और आज भी जहाँ उनको महसूस किया जा सकता है जैसे कि सांकोर आदि में वह सब बृज 84
भगवान श्री राम को 14 वर्ष का वनवास हुआ तो उनकी पत्नी माँ सीता ने भी सहर्ष वनवास स्वीकार कर लिया। परन्तु बचपन से ही बड़े भाई की सेवा मे रहने वाले लक्ष्मण जी कैसे राम जी से दूर हो जाते! माता सुमित्रा से
आचार्य शुकदेवजी बारह वर्षों तक मातृगर्भ में रहे, गर्भ को ही जिन्होंने मन्दिर बना दिया, मैं आपको बहुत स्पष्ट रूप में कह दूं, आपने अपने मन पर काबू पाया है तो आप अपने घर में रहकर भी मुक्ति पा सकते है और
1.माता सरस्वती (विद्या की देवी ब्रह्मा की पत्नी)।2.माता सरस्वती (ब्रह्मा-सावित्री की पुत्री)।3.सावित्री (ब्रह्मा की पत्नी)।4.गायत्री (ब्रह्मा की पत्नी)।5.श्रद्धा (ब्रह्मा की पत्नी)।6.मेधा (ब्रह्मा की
भारतीय रीतिरिवाज अनुसार करवीर व्रत भगवान सूर्य और कनेर वृक्ष की पूजा उपासना के रूप में मनाया जाने वाला पर्व है। हिन्दु धर्म में सूर्य पंच देवों में एक है। वह साक्षात देव माने जाते हैं। जिनकी अपार शक्त
सब से पहले भूमि को गोबर से लेपना चाहिए। फिर जल की रेखा से मंडल बना कर , उस पर तिल और कुश घास बिछा कर मरणासन्न व्यक्ति को उस पर सुला देना चाहिए । उस के मूंह में पंचरत्न / स्वर्ण आदि डालने से सब पापों क
बगलामुखी साधना में महाविद्याओं तथा उनकी उपासना पद्धतियों के बारे में संहिताओं, पुराणों तथा तंत्र ग्रंथों में बहुत कुछ दिया गया है। बगलामुखी देवी की गणना दस महाविद्याओं में है तथा संयम-नियमपूर्वक बगलाम
बगलामुखी परिचय एवं साधना नियमवैशाख शुक्ल अष्टमी को देवी बगलामुखी का अवतरण दिवस कहा जाता है जिस कारण इसे माँ बगलामुखी जयंती के रूप में मनाया जाता है। इस दिन व्रत एवं पूजा उपासना कि जाती है