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श्याम जांगड़ा

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काले बादल की शान बनी तेरी ज़ुल्फो से है शाम ढली, तेरे नज़रो से जो तीर चले उन से है सुनसान गली, चाँद किनारे तारा हो कुछ यूं बैठा है तिल तेरे गाल पर छांट छांट के शब्द लिखू तुझे दिए रब के हुस्न कमाल पर।

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