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सिसकियाँ

12 जनवरी 2022

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वक़्त लगता है जितना किसी घर में घर बनाने में

             उतना कहाँ लगता है घर से निकाले जाने में!

किसी के रोने पर आपकी मुस्कान नागवार गुज़री

        बाक़ी मुझे तो कोई एतराज़ नही यूँ मुस्कुराने में!

एक वक़्त था जिसमें जान लिया गहराई से तुमको

      मगर तुमने तो ज़ाया कर दिया मुझे आज़माने में!

आ ही गया हूँ आखिरकार इस शहर से बाहर 

         संलिप्त तो थे चौराहे भी मुझे रस्ता भटकाने में!

व्यथा  में मुसलसल सदी भी तो गुजारी है मैंने

       ये तो दशक ही है क्या वक़्त लेगा गुज़र जाने में!

गली में,किसी की सिसकियाँ सुन गया है अभिषेक

        आप बैठिये उसे तो वक़्त लगेगा अभी आने में

                               ~अभिषेक नायक

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रचनाएँ
अधूरा -अधूरी
3.0
यह पुस्तक मेरे द्वारा लिखी गयी कविता, गज़लों एवं शेरों का सग्रह है!
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सिसकियाँ

12 जनवरी 2022
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वक़्त लगता है जितना किसी घर में घर बनाने में              उतना कहाँ लगता है घर से निकाले जाने में! किसी के रोने पर आपकी मुस्कान नागवार गुज़री         बाक़ी मुझे तो कोई एतराज़ नही यूँ मुस्कुराने में! एक वक़

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मौत

30 अप्रैल 2022
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मौतत्रासदी बनकर आती है किसी आशियाने के लिए!              मृत्यु सिर्फ़ मृत्यु होती है कोई बेगाने के लिए! कौवा जाता है कौवे के यहाँ दुःख बाँटने को       आदमी जाता है किसी मौत पर दिखाने के लिए! ख़ुदा का क

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तमन्नाएँ

19 अप्रैल 2022
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इस मकान में अब बाक़ी बचा भी क्या है। साझी तमन्नाएँ जल गई धुँआ ही धुँआ है! मेरे बालों ने तेरे काँपते हाथ महसूस किये लगता है आज फिर तुमने तस्वीर को छुआ है! दीया तो यूँ ही बदनाम हो गया बुझ कर

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कच्चे रिश्ते

1 मई 2022
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रिश्ते पक्के हुआ करते थे कच्चे आशियानों में! अब ये टूट जाते हैं संगमरमर लगे मकानों में! दौलत तो यहाँ से वहाँ एक रोज उड़ जाएगी उड़ती है  रेत जैसे  भयंकर  तूफानों में! ये चमकते बदन राख के ढेर से ज्याद

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ताल्लुकात

19 अप्रैल 2022
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नभ को छूती आपकी हर इक बात है!           ज़रा बताओ तो किनसे ताल्लुकात है! मैं तो सिर्फ मिट्टी हूँ आपके पैरों की     आप बताइये,भला आपकी क्या बिसात है! फ़कीर के यहाँ नंगे पाँव ही आना होगा   क्या हुआ जो आप

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वीरान धरा

30 अप्रैल 2022
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मरुस्थल सी तपती कोई वीरान धरा हूँ मैं!     कभी रफ़्ता रफ़्ता चलती शरद हवा हूँ मैं! कल्पनाओं की तरह बनता बिगड़ता हूँ ऱोज             अब तुम्हें क्या बताऊँ की क्या हूँ मैं! तुमने तो सोचा था कि अधूरा ही रह

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