shabd-logo

स्कूल का रास्ता

15 अक्टूबर 2023

5 बार देखा गया 5



article-image


छुटकी चिंटू पैदल पैदल, जाते थे स्कूल,

बीच सड़क तो पक्की थी पर, अगल-बगल थी धूल,

रस्ते में कंकण दिख जाता, पैर मार लुढ़काते,

लुढ़काते लुढ़काते पत्थर, शाला से घर लाते,

सुबह-सुबह तो जल्दी होती, रहती शरारत भूल,

लेकिन शाम को सड़क से ज्यादा, भाती उनको धूल,

एक दिवस जब उन्होंने देखा, एक झाड़ी के पीछे,

सड़क किनारे स्वान के शिशु थे, अपनी पलकें मींचे,

आकर्षण था बहुत ही उनमें, सोचा उन्हें उठाएं,

दिखलाएं सब बच्चों को फिर, अपने घर ले जाएं,

लेकिन कहीं देर ना होवे, पहुंचे जब स्कूल,

समय लौटते देखेंगे कि, हैं ये कितने कूल,

आपस में वो बातें करते, कितनी होगी मस्ती,

जब पिल्लों के साथ करेंगे, दिनभर मटरगश्ती,

समय लौटते लेकिन जैसे, पिल्ला एक उठाया,

उन्हें लगा कि उनके पीछे, कोई है गुर्राया,

मुड़ कर देखा होश उड़ गए, वो पिल्लों की मम्मी,

पिल्ला छोड़के सरपट भागे, अपनी बुलाते मम्मी,

किसी तरह से जान बचाकर, अपने घर को आए,

छूट गया प्यारा सा पिल्ला, सुबक सुबक पछताए॥


(C)@ दीपक कुमारश्रीवास्तव " नील पदम् "           

4
रचनाएँ
नील पदम् के बाल गीत
0.0
बच्चों के लिए बच्चों के विषय पर दीपक कुमार श्रीवास्तव नील पदम् की कवितायेँ Hindi Poems for children on their subject by Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam"
1

प्रकृति वर्णन

15 अक्टूबर 2023
0
1
0

सुबह उठें हम सूरज की मखमली रोशनी को पायें, चिड़ियों का संगीत सुने और फूल कोई कविता गायें ।। भंवरों का संगीत मनोहर हरियाली स्वर्ग सी है, नदियों का मुड़ मुड़कर चलना जैसे कोई नर्तकी है ।। शाम ढ़ल

2

स्कूल का रास्ता

15 अक्टूबर 2023
0
1
0

छुटकी चिंटू पैदल पैदल, जाते थे स्कूल, बीच सड़क तो पक्की थी पर, अगल-बगल थी धूल, रस्ते में कंकण दिख जाता, पैर मार लुढ़काते, लुढ़काते लुढ़काते पत्थर, शाला से घर लाते, सुबह-सुबह तो जल्दी होती,

3

आम

15 अक्टूबर 2023
0
1
0

सुर्खाब की देखें सूरत , लोग दशहरी के दीवाने । सफेदा का रस अलबेला , चौसा चखे तोही मन माने । तोतापरी से शेक बनाए , हापुस देख के मन ना माने । देशी के दस बने अचार , फजली आते मन भरमाने । लंगड़ा भी त

4

प्रयास

25 मार्च 2024
0
1
0

है चन्द्र छिपा कबसे, बैठा सूरज के पीछे, लम्बी सी अमावस को, पूनम से सजाना है। चमकाना है अपनी, हस्ती को इस हद तक, कि सूरज को भी हमसे, फीका पड़ जाना है। ये आग जो बाकी है, उसका तो नियंत्रण ही,

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए