सुबह उठें हम सूरज की
मखमली रोशनी को पायें,
चिड़ियों का संगीत सुने और
फूल कोई कविता गायें ।।
भंवरों का संगीत मनोहर
हरियाली स्वर्ग सी है,
नदियों का मुड़ मुड़कर चलना
जैसे कोई नर्तकी है ।।
शाम ढ़ले तो चाँद चले
तारों की बारात लिये,
बूंदें पुलकित करती हैं जब
हों बादल बरसात लिये ।।
धरती, अम्बर, दरिया, जंगल
क्या कुछ हमको देते हैं,
प्रकृति की रक्षा करनी है ये
शपथ आज हम लेते हैं ।।
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