संधिकाल वह समय होता है, जिसमे दो
शब्द या ऋतुयें मिलने वाली होती है, जब हम शब्दो के
बारे मे बात करते है तो वहां पर भी शब्दो के मिलने से पहले विकार उत्पन्न होता है,
और अगर ऋतुयों कि बात करे तो संधिकाल के दौरान वहां भी बिमारिया
(व्याधिया) अधिक उत्पन्न होती है, इसी को आगे ले जाते हुए
अगर हम समाज और संस्क्रति कि बात करे तो भारत मे भी इस समय दो संस्क्रतियो कि संधि
हो रही है (हिंदु और पाश्य्चात) तो व्याधिया,विक्रतिया,बिमारिया तो उत्पन्न होंगी ही
और लोग
है कि कभी आद्मियो कि मानसिकता को दोषी कहते है तो कभी स्त्रियों को दोष देते है।