सोना 10 साल की छोटी बच्ची थी। लेकिन उसके ख्वाब बहुत बड़े थे। सोना को परियाँ की कहानियाँ बहुत
अच्छी लगती थी। वो हमेशा परी की किताबों को बहुत प्यार से संभाल कर रखती।।
एक दिन सोना अपनी मम्मी के साथ मंदिर गई थी सोना अपने ने वहाँ देखा कितने लोग भूखे प्यासे बैठे हैं और सभी लोग हाथ फैलाये हैं।
तभी सोना ने अपनी मम्मी से कहा- मम्मी ये सब कौन हैं?
यहाँ क्या कर रहे हैं।
मम्मी ने प्यार से कहा- बेटा ये सब के पास घर नहीं हैं रोजगार नहीं है। पहने को कपड़े नहीं है खाने को खाना नहीं हैं।।
जब दोनों घर लौटे तो सोना बिना कुछ खाये परी वाले किताबो को पढ़ते पढ़ते सो गई। तभी उसे खूबसूरत सपना आया कि वो परी नगरी पहुँच गई।
सोना रो रही थी। तभी वहाँ एक परी आई। उसने कहा- क्या हुआ बेटा क्यु रो रही हो!
सोना ने कहा- कौन हो आप।
परी ने कहा- बेटा मैं एक परी हूँ मैं तुम्हें जानती हूँ तुम बहुत ही नेक और अच्छी बच्ची हो पर तुम रो क्यों रही हो।
सोना- परी दीदी मैंने कुछ ऐसे लोगो को देखा जोह बहुत दुखी हैं उनके पास कुछ नहीं है। ना खाने को ना रहने को!!
परी ने कहा- मै तुम्हें एक वरदान देती हूँ जिसको भी मदद की जरूरत होगी।दिल से जिसकी मदद करना चाहोगी तुम उसकी मदद जरूर करना।
उठो उठो सोना उठो मम्मी चिल्ला रही थी तभी सोना की नींद टूटी उसने अपने सपनों के बारे मे मम्मी से कहा।
मम्मी ने कहा- तुम एक बहुत अच्छी होना। इसलिए वो तुम्हारे सपने मे आई थी।।
एक दिन सोना जिसके बारे मे दिल से मदद के लिए सोच रही थी। इसका वो दुःख खत्म हो गया। सोना ने मन मे सोचा ये सब कैसे हुआ। तभी उसे सपने का याद आया।। तभी वहाँ परी आ गई बोली- बेटा तुम सबके बारे मे सोचती हो। तुम्हारा दिल बहुत बड़ा हैं।। तुम्हे ये वरदान मिला हैं। कभी इस वरदान का गलत प्रयोग मत करना।।
ये सब बोल परी वहाँ से चली गई।। 🌹🌹🌹
लेखक:- नेहा भारती