घर के आंगन की नन्ही
कली तुम हो।
बगीचो की चहचहाती
चिड़िया तुम हो।
तुम्हारे छुने से फूल
खिल हैं जाते।
तुम्हारे मुस्कुराने पर
चमन छा हैं जाते।
तुम्हारे कदमों से प्यार हैं
मिट्टी को भी।
देते हैं इज्जत तुम्हारे कदमो
के स्वरूप को भी।
ऐसा हुस्न जो कर देते
सबको दीवाना।
लेकिन हरकत ऐसी हमेशा
हो कातिलाना।