सोन चिड़ियाँ एक बहुत खूबसूरत थी उसके पंख भी बहुत सुंदर थे। उसका स्वाभिमान उसके लिए बहुत प्यारी थी। वो अपने स्वाभिमान के लिए कोई ऐसा काम नही करती जिससे कोई उसे दोषी ठहरा सके।
एक सोनू चिडा सोन चिड़ियाँ के खूबसूरती पर
फ़िदा था। हमेशा सोन चिड़ियाँ को घूरते रहता। सोन चिड़ियाँ उसे मन ही मन मे प्रेम करती । लेकिन ये बात चिडा को पता नही था।
अक्सर सोन चिड़ियाँ अपनी पंख निकाल कर एक झरने के पास नहाने जाया करती थी। सोन चिड़ियाँ के पंख मे एक छोटी सुनहरी पंख थी। वो पंख बहुत शक्तिसाली थी।एक सोन चिड़ियाँ पंख निकाल नहाने को गई थी। जब वापस आई तो वहाँ कोई उसका पंख नही जोर के हवा के वजह से पंख कही दूर चला गया था।
पंख को इधर उधर ढूंढने के बाद सोन चिड़ियाँ रोने लगी। बिना पंख के क्या कर सकती थी।
तभी वहाँ सोनू चिडा उसकी पंख लेकर आया। अपना पंख
पा कर सोन चिड़ियाँ बहुत खुश हुई।
पंख मे एक खास बात भी थी। जिसे दूसरे पक्षी पाना चाहते थे।
सोन चिड़ियाँ ने कहा- तुम मुझे घूरते क्यू रहते हो।
सोनू चिडा ने कहा- घूरते क्या रहते हैं। तुमसे प्रेम करता हूँ।
सोन चिड़ियाँ ने शर्माते हुए कहा- मैं भी।
ये सुन सोनू चिडा खुशी के मारे नचाने लगा।
दोनों हमेशा एक दूसरे के साथ घूमते फिरते। मस्ती मजाक
करते।
लेकिन अक्सर सोन चिड़ियाँ पंख निकालते समय थोड़ी ही
देरए उसके पंख गायब हो जाते थे। फिर से चिडा आ कर पंख दे जाता।
ये बात सोन चिड़ियाँ को समझ नही आ रहा था। जब भी पंख गायब होता है तो चिडा दे जाता हैं।
एक दिन जब फिर से सोन चिड़ियाँ ने अपने पंख को उतारा। तब फिर उसने देखा कि चिडा फिर से उसके पंख
ले गया। सोन चिड़ियाँ किसी तरह चिडा के पीछे पीछे गई।
तब देखा कि वहाँ चिडा एक दानव रूप मे आकर उस
पंख के सुनहरे भाग को निकाल रहा हैं लेकिन उससे निकल नही रहे थे।
तब सोन चिड़ियाँ ने कहा- चल मेरे पंख दे।
चिडा ने कहा- नही दूंगा मैं तेरे पंख से दुनिया पर राज करूँगा फिर तेरे से शादी कर और शक्तिशाली हो जाऊंगा।
सोन चिड़ियाँ ने कहा- तू मुझसे प्यार नही करता।
चिडा- अरे बहुत करता हूँ लेकिन तुम्हारे पंख से ज्यादा।
सोन चिड़ियाँ- तूने मुझे धोखा दिया। और तू शक्तिसाली
बनना चाहता हैं। तेरे इरादे अच्छे नही हैं।
सोन चिड़ियाँ ने उससे पंख छीन जले आग मे कूद गई।
चिडा देखता ही रह गया और उसके बुरे इरादे पर पानी फिर गया।
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