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थी एक नर्तकी:- सूफी

8 अक्टूबर 2021

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 अभी भी औरतों का घर के बाहर काम करना उसे एक चरित्रहीन का मोहर लगा दिया जाता हैं। अभी लोग बेटी बहु के काम करने के खिलाफ हैं। अभी भी कुछ जगह बेटी बहु को बाहर निकलने का गलत ही मतलब निकलते हैं।
          एक ऐसी ही कहानी हैं सुफी की हैं एक अनाथालय मे पली बड़ी सूफी पर अचानक ही अनाथालय का भार आ गया था। 50 बच्चे थे जिसका भरण पोषण की जिम्मेदारी सूफी को निभाने थे। लोग डोनट भी कितना करेगे लेकिन उससे भी बच्चों का गुजारा नहीं हो रहा था।
                एक दिन की बात है खाने का समान लगभग खत्म हो गया था। कुछ बच्चे को खाना भी नसीब नहीं हुआ। दो दिन हो गए कोई डोनट करने भी नहीं आया था।
एक बच्चा विक्की जिसकी हालात बहुत गम्भीर था। भूख से बच्चा पुरा बीमार पड़ गया था। कुछ ही घंटो मे विक्की
भूख को सह नहीं पाया और चल बसा।
                     ये सदमा से सूफी निकल ही नहीं पा रही थी। सूफी एक बहुत अच्छी नर्तकी थी। सूफी ने तय किया कि वो अब डांस करेगी और सबको सिखायेगी।
सूफी का संघर्ष शुरू हो गया। सूफी अपने प्रचार खुद कर रही थी। करीब 1 महीने के बाद सूफी को एक लड़की श्रेया के यहाँ उसे डांस सिखाने का मौका मिला। सूफी श्रेया के यहाँ रोज उसे डांस सिखाने के लिए जाने लगी।
सूफी का डांस देख श्रेया की मम्मी शुधा के मन कुछ चल रहा था।
एक दिन शुधा ने कहा- सूफी क्या तुम मेरे लिए काम करोगी।
सूफी ये सुन ना नहीं कर पाई और बोली
सूफी- हाँ मैडम काम क्या हैं।
शुधा- बस कुछ नहीं तुम्हें डांस करना है।
 
      दूसरे दिन जब श्रेया के यहाँ आने के लिए निकली तो उसका पोस्टर पर जिसपर सूफी का फोटो था और लिखा था आज शाम सूफी नर्तकी का नृत्य का कार्यक्रम हैं सभी संध्या 5 बजे पधारे। नीचे लिखा था - सुधा देवी
         पुरा रास्ता बस सूफी का ही पोस्टर लगा था सूफी समझ गई पोस्टर लेकर सीधे ही सुधा देवी पास गई और बोली- मैडम ये क्या हैं आपने मुझसे पूछा भी नहीं।
सुधा- कल तो पूछा था तुमने कहा था हाँ।
सूफी- आपने मुझे इसके बारे मे कुछ बताया ही नहीं। मुझे नहीं करनी और ये जॉब भी छोड़ रही हूँ
सुधा - अपने अनाथालय के बारे मे सोच लो। मैं भी कुछ कमा लुंगी तुम भी कमा लेना। मैंने सुना एक बच्चा भूख से मर भी गया था।
सूफी को ये सब सुन  बेबस हो गई और तैयार भी हो गई थी।
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फिर सूफी ने कहा- मैडम मैं एक मुस्लिम हूँ अगर मेरे जात वालों को पता चल गया तो पता नहीं क्या होगा। एक दिन की ये बात किसी को पता चल गया तो।
सुधा- कुछ नहीं होगा। मैं हूँ ना ।

शाम मे जब कार्यक्रम चालू हुआ तो माहोल रंगीन हो गया।
सिर्फ नोजवान लोग शामिल हुई थे। सूफी के नृत्य से ऐसा समा जम गया जिसके सभी दीवाने हो गए। इस शाम के बाद से सूफी को इज्जत शोहरत पैसा सब कुछ मिल गया।
अब सूफी अपने अनाथालय के बच्चों के लिए वो सब कर पा रही थी।
एक से एक प्रोग्राम का ऑफर आने लगा। उसमे अब सुधा का भी इनकम बढ़ गया था। सुधा को अपने नाम सोहरत से रति भर घमंड नहीं था। लेकिन ये बात सुधा को अंदर ही अंदर खाये जा रही थी।
       जब भी सुधा और सूफी संग जाते वहाँ सूफी के दीवाने ऑटोग्राफ के लिए भीड़ लगती। सुधा को कोई पुछता तक नहीं था ये सब सुधा को सहन नहीं होता।

एक दिन एक अमीरजादा राहुल अग्रवाल सूफी का नृत्य देख सूफी पर पूरी तरह फिसल गया फिर क्या था अब तो सूफी के पीछे ही पड़ गया। लेकिन बार बार सूफी उसको मना कर देती।
           एक दिन राहुल के ऑफिस मे सुधा पहुँच गई
राहुल के पास गई।
राहुल- किस काम से आई हैं।
सुधा- 25 लाख
राहुल- क्यूँ
सुधा- सूफी के लिए।
राहुल- done। ठीक हैं बस एक रात के लिए।
         सुधा ने सूफी को अपने घर पर खाने के लिए बुलाया था। लेकिन वहाँ राहुल भी आया हुआ था। अब
राहुल को देख सूफी डर गई थी।
मौका पाकर सुधा घर मे दोनों को बंद कर कही निकल गई। राहुल सूफी से जबरदस्ती करने लगा। सूफी किसी तरह जान बचा कर भाग निकली।
लेकिन राहुल और सुधा को डर था। कही नाम ना बदनाम हो जाए। इसलिए दोनों ने उस अनाथालय मे ही आग लगा दिया। बेकसुर सूफी और बच्चे सब मारे गए।
इस खबर से सूफी के दीवाने मे सनसनी मच गई।

एक सूफी थी जो लोगों के जीती थी।
एक राहुल और सुधा जैसे लोग अपने लिए जीते हैं


काव्या सोनी

काव्या सोनी

Bahut hi accha likha aapne 👌👌👌

8 अक्टूबर 2021

गीता भदौरिया

गीता भदौरिया

बहुत बढिया लिखा आपने।

8 अक्टूबर 2021

Neha Bharti

Neha Bharti

8 अक्टूबर 2021

शुक्रिया

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रचनाएँ
हमारी प्रेरक कहानियाँ
5.0
कहानियाँ सभी प्रकार उम्र के लोगों के लिए है.!! ये कहानियाँ कल्पनिक हैं किसी प्रकार के से किसी को ठेस पहुँचाने का नहीं है।।। ये कहानियाँ हमारे बच्चों को एक नई दिशा देगी।। ये कहानियाँ बच्चों को नई उम्मीद की किरण दिखायेगी!!! ये कहानियाँ प्रेम और आदर का प्रतीक हैं।।
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