बात उस वक्त की है जब भारत में लैंडलाइन फोन की शुरूआत हो चुकी है और जिस घर मै लैंडलाइन फोन होते है वह घर एक अमीर घर की गिनती मै आता है नब्बे के दशक में घर मै टेलीफोन होना अपने आप मै एक बहुत बड़ी बात है लेकिन जो लोग अमीर नहीं है वो लोग एसटीडी के भरोसे है एक रुपए का सिक्का एसटीडी मै डाला और अपने रिश्तेदारों से बात कर ली कई बार तो ऐसा भी होता है कि घर मै नया फोन लगने की वजह से हमें यह नहीं पता चल पाता है कि हमारे पड़ोस मै कौन रह रहा है भारत मै 1999 मै टेलीफोन शुरू हो गए और उसके बाद जैसे ही मार्केट मै रिलायंस के फोन आए मार्केट मै शताब्दी एक्सप्रेस से भी ज्यादा गति आ गई नब्बे के दशक मै टीवी और टेलीफोन की डिमांड बहुत ज्यादा बढ गई कई बार तो एसटीडी के सामने इतनी लंबी लाइन होती थी कि उसे देखकर ऐसा लगता था कि मंदिर के बाहर कोई प्रसाद बंट रहा हो