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बातें भले ही कुछ भी हो ,रोज आना- जाना रोज का सैंपल पहुंचाना, क्या नहीं करते हम खर्चा उनको देते हैं लेकिन वह यह सोचते ही नहीं कि हम अपनी जेब से खर्चा भरकर उनके सैंपल पहुंचाते हैं अब करें भी क्या, हमें