क्या यही है देश की तकदीर
क्या यही है देश की तकदीर
- अंचल ओझा, अम्बिकापुर
जहां रिश्वत, प्रलोभन, लोभ और वोट के बाजार में,
पैदा होता देश का तारणहार है,
जहां सत्ता की भूख से, कुर्सियों की दौड़ में,
वोट का करता वह नोट से व्यापार है।
क्या वो देश को चला पायेगा,
इस तरह के लोभ में मतंगियों को,
कौन राह दिखायेगा ?
क्या भार