11 अगस्त 2022
कभी था ये भी हरा भरा,होता था ये खेत की शान।देता मधुर मधुर फल था ये,और छाँव में अपनी सबको विश्राम।।बचपन में दादा ने एक बीज था बोया,भोर के साथ एक अँकुर था फूटा।एक पौधे ने था जीवन पाया,जीवन देख था मन हरष