9 नवम्बर 2016
तेरा रुठना मेरा मनाना
मेरा रूठना तेरा मनाना
इसे ही तो प्यार कहते है
क्या जाने ये जमाना ।।
......संगम .....
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ओम प्रकाश लववंशी "संगम ,ओम प्रकाश लववंशी "संगम D
इक चाँद पाने के खातिरपंछी की शहादत लिख जाऊंगाहै नही तू मेरी किस्मत मेंफिर भी महोब्बत कर जाऊंगा....दिल दुखना फितरत नहीं है मेरी तेरी तरह इतराना आदत नही है मेरी तू भले ही समझ दुश्मन मुझेपर तुमसे कोई बगावत नही है मेरी....बसंत में महकती है खुशबुमै पतझड़ में फूल खिला जाऊंगा'संगम' कहता है जमाना मुझकोदेखना
मैं नही जनता हूँ किक्या लिखता हूँ? हाँ, मगर मैं लिखता हूँ| मैं नही जनता कि गीत लिखता हूँ या गज़ल लिखता हूँ, हाँ,मगर मैं लिखता हूँ| अनजान हूँ अभी मैकाव्य सेमैं नही जानता कि कविता किसे कहते है,शायरी क्या होत
तुम छोटी-छोटी बातों पर नाराज हो जाती हो, बस बहाना चाहिये तुम्हे तो रुठने के लिये, कितनी प्यारी लगती हो जब तुम कहती हो मैं नाराज हूँ तुमसे गाल फूला लेती हो और चेहरा अजीब सा बनाती हो तेरी रुठने वाली बातें याद आ जाती है, जब रूठता देखता हूँ छोटी-छोटी नन्ही-सी परियों क
ना अदावत होगी ना बगावत होगी, ना ज़माने से कोई शिकायत होगी एक बार करलो संगम यार फिर हर पल महोब्बत होगी.......... @ओम प्रकाश "संगम"
तेरा रुठना मेरा मनानामेरा रूठना तेरा मनानाइसे ही तो प्यार कहते हैक्या जाने ये जमाना ।।......संगम .....