५. संघर्ष
गुरुवार को सब कुछ योजना के अनुसार ही चल रहा था। अनिरुद्ध ने बड़े जोर शोर से मीडिया के सामने प्रचार किया था की कस्टम्स की ओपचारिकताएं पूरी होने के बाद कुछ ही घंटो में विभिन्न देशों से आई मूर्तियां और पेंटिंग्स एक बड़ी सी तिजोरी में उसके पुस्तैनी घर के लिए लिए निकल पड़ेगी जिसे वो एक बड़े से म्यूजियम में बदलने वाला है।
आयशा मीडिया की भीड़ से कुछ ही दूरी पर अनिरुद्ध की कार में ड्राइविंग सीट पर बैठी हुई थी। उसे अनिरुद्ध के साथ तिजोरी ले जा रहे ट्रक के पीछे पीछे रहना था । उसी के पास इंस्पेक्टर मनोज की गाड़ी खड़ी थी जिसमें वह अपने तीन साथियों के साथ बैठा हुआ था, उनकी यहां से लेकर अनिरुद्ध के गांव वाले पुस्तैनी घर तक तिजोरी की रक्षा करने की जिम्मेदारी थी। इसी के साथ दो और गाड़ियां थी जिसमें साधारण ड्रेस में ओम के आदमी थे।
कुछ ही समय बाद एक बड़े से कंटेनर को लादे हुए एक ट्रक हाईवे पर था, जिसके पीछे - पीछे आयशा, इंस्पेक्टर मनोज और दो अन्य गाड़ियां जा रही थी।
दूसरी तरफ इस ट्रक के निकलने के करीब आधे घंटे बाद ही कई ट्रक खाली कंटेनर्स को लादे एक दूसरे रास्ते से जा रहे थे। ये वे ट्रक थे जिन्हे गोपालन रेड्डी की फैक्ट्री के लिए जाना था।
ओम की योजना के अनुसार इसी में से एक खाली कंटेनर में दूसरी तिजोरी रखी हुई थी जो बिना किसी की नजरों में आए अपने मुकाम की ओर बढ़ रही थी।
करीब दस किलोमीटर की दूरी तय करने के बाद अनिरुद्ध और उनके साथी शहर से बाहर आ चुके थे। यही से उन्होंने हाईवे को छोड़कर दूसरा रास्ता ले लिया।
ये मार्ग जंगलों के बीच से होकर अनिरुद्ध के गांव को जाता था और यहां पर उन चार वाहनों के अलावा कोई दूसरा वाहन दिखाई नही दे रहा था।
" तो सेठ , तुम अपुन को एक बात बताएगा?" आयशा ने कार चलाते हुए अनिरुद्ध से पूछा और अनिरुद्ध की सहमति के आगे कहना शुरू कर दिया, " तुम्हारा ये दोस्त अपुन से इतना दूर काय को भागता हैं?"
अनिरुद्ध हंसी मिश्रित अंदाज अनजान बनते हुए कहा, " क्यों? तुम उसे पसंद करती हो?
" अपुन को love है उससे।" आयशा ने कार को खड्डो से बचाकर निकालते हुए कहा, " पर वो साला।"
उसने अनिरुद्ध की ओर देखते हुए कहा, " क्या अपुन में कांटे लगेले है?"
" नहीं ऐसा तो नहीं लगता है।" अनिरुद्ध मुस्कुराया।
" तो क्या अपुन का थोबड़ा खराब है?" वह बिना रुके बोलती रही , " तू तो उसका दोस्त है, उसे अच्छे से जानता है, तू कोई idea दे ना सेठ, की वो अपुन पर फ्लैट हो जाए।"
" हम दोनों साथ में पढ़े और साथ में ही रहे है आयशा। पर और ओम एक मल्टीलेयर्ड कैरेक्टर है।"
"अपुन को कुछ समझ नहीं आया।"
" मेरा मतलब उसके कैरेक्टर में बहुत परते है।"
"प्याज की तरह!"
" हां प्याज की तरह।" अनिरुद्ध ने आयशा को समझाते हुए कहा, " उसे खुद नही मालूम की उसे क्या करना चाहिए पर मुझे लगता है की उसके भी दिल में तुम्हारे लिए कुछ तो है।"
" सच्ची।" आयशा चिल्लाई। उसकी आंखों में अलग ही चमक थी।
" मुच्ची।" अनिरुद्ध ने मजे लेते हुए कहा, " तुम्हारे और उसके बीच में उसके आदर्श है।"
" बता मेरे को सेठ , ये आदर्श किधर रेता है।" आयशा ने स्टीयरिंग पर घूंसा मारते हुए कहा, " अपुन उसका सिर फोड़ देगी।"
" मैं उसूलों की बात कर रहा हूं।" अनिरुद्ध ने उसकों समझाते हुए कहा।
" ओह।" आयशा ने शांत होते हुए पूछा, "काए के उसूल?"
" अब तुम बिना बोले ड्राइविंग करोगी , मैं तुम्हे सब बताता हूं।" अनिरुद्ध अपनी बात बिना किसी इंटरप्शन के बोलना चाह रहा था।
" OK." कहते हुए उसने अपना एक हाथ अपने मुंह पर रख लिया।
" दोनों हाथों से ड्राइंग करो।"
अनिरुद्ध के कहते ही आयशा ने बिना बोले दोनों हाथों से स्टीयरिंग को पकड़ लिया।
" हां अब ध्यान से सुनों।" अनिरुद्ध ने बताना शुरू किया, " वो यह मानता है की जब दो लोगों के विचार नहीं मिलते है तो रिश्ते जल्दी टूट जाते हैं। वो सोचता है की तुम्हारी और उसकी सोच शायद न मिल पाए।"
" ऐसी कौनसी सोच नही मिलेगी अपुन से?"
" शायद धार्मिकता या खानपान से जुड़ी हुई सोच।"
" ले।" आयशा ने अजीब सा मुंह बनाते हुए कहा, " अपुन वेजटेरियन है।"
" सच में!" अनिरुद्ध ने चौंकते हुए पूछा।
" अपुन एक अनाथाश्रम में बड़ा हुआ है।" आयशा ने कार एक बड़ी सी डाली से बचाते हुए दाहिनी ओर टर्न लिया, " जिधर अच्छा दाल - चावल भी मिलना बड़ी बात थी।"
" अच्छा।" अनिरुद्ध ने उसकी बातों पर गौर करते हुए कहा।
" और अभी तो अपुन नॉन वेज देख भी ले तो अपुन को उल्टी होता है।"
" एक और प्रॉब्लम हैं।"
" वो कया?"
" तुम्हारी भाषा।"
" अपुन की भाषा में क्या प्रॉब्लम?" आयशा ने झल्लाते हुए कहा।
" नही प्रॉब्लम नहीं है।" अनिरुद्ध ने खुद का बचाव करते हुए कहा, " पर अगर तुम उसी के तरीके से और ये ' साला, साला ' जैसे शब्दों को अपनी डिक्शनरी से निकाल कर उसी की भाषा में उससे बात करो, तो शायद वो तुमको पसंद करने लगे।"
" हे! सच में?" आयशा ने खुश होते हुए कहा, "छोड़ दिया, आज से साला कहना छोड़ दिया, वादा।"
तभी आयशा को सामने से एक बड़ा सा पेड़ का तना आता हुआ दिखाई दिया। वो तना करीब 20 फीट लम्बा और उसकी मोटाई 6 फीट से भी ज्यादा की लग रही थी।
"अबे साला।" आयशा को अपना वादा तोड़ने में 2 सेकंड भी नहीं लगेे।
आयशा ने बिना एक पल गवाए कार की स्पीड बड़ा दी । उसने कार को उस तने की मोटी डालियों से बचाते हुए उसके नीचे से सुरक्षित आगे निकल दिया।
लेकिन पीछे आ रहे इंस्पेक्टर मनोज और अन्य दो गाड़ियां उससे बच नहीं पाई। तना सीधा इंस्पेक्टर मनोज की जीप के अगले हिस्से पर गिरा जिससे वह गाड़ी तेजी से उलट गई। पीछे वाली गाड़ियां भी तने से जोर से टकराई थी।
" तुम ठीक तो हो।" अनिरुद्ध ने अपने वोकी टॉकी तेजी से को ऑन करते हुए चीखा।
तभी एक और तना उसकी कार की ओर आता दिखाई दिया लेकिन आयशा ने अपना पूरा जोर एक्सीलेटर पर लगा दिया। उसने कार को कलाबाजियां कराते हुए फिर से आगे निकाल लिया था।
" Hello, तुम ट्रक को रोकना मत, जितना तेज हो सके उतना तेज चलाओ।" अनिरुद्ध तेजी से चैनल चेंज करते हुए बोल रहा था ट्रक ड्राइवर OK भी पूरा नहीं बोल पाया था की उसने चैनल बदल दिया, " hello मनोज तुम लोग ठीक तो हो।" अनिरुद्ध ने चीखते हुए कहा।
इसी बीच आयशा ने लगातार तीसरे तने को डोज कर दिया था और वह कार को पूरी स्पीड से भगा रही थी।
" हम ठीक है बस थोड़ी सी चोट लगी हैं।" वोकि टॉकी से इंस्पेक्टर मनोज की आवाज आई।"अरे ये क्या? ओह नही।"
" टन, टन।"
" क्या हुआ? ये कैसी आवाज हैं?" अनिरुद्ध वॉकी टॉकी को मुंह से चिपकाए चिल्लाया।
" हम पर तीरों की बारिश हो रही है,हम पर तीरों की बारिश हो रही है।" सामने से इंस्पेक्टर मनोज की आवाज आ रही थी, " अनिरुद्ध तुम किसी भी हालत में रुकना मत। लगता हैं यहां बहुत सारे आदिवासी है ।"
आयशा भी कार को रौकने के मूड में नहीं थी परंतु इस बार एक और बड़ा सा तना पूरी सड़क रोके हुए था।
" नहीं , आयशा नहीं, नही !" अनिरुद्ध जोर से चीख पड़ा क्योंकि आयशा कार को रोकने की बजाय और तेज़ी से भगा रही थी।
उसने तने की अपनी ओर निकली दोनों बड़ी सी डालियों पर कार को चढ़ा लिया और एक बहुत बड़ी छलांग के साथ कार उस तने को पार कर गई।
" तुम तो पागल हो!" अनिरुद्ध ने अपने सिर को बचाते हुए कहा। उसकी जान जैसे गले तक आ गई थी।
आयशा कुछ बोलती उससे पहले ही कुछ तीर आकर कार के अगले टायर में घुस गए। जिस रफ्तार से कार चल रही थी, अगर आयशा उसे न संभालती तो शायद वह पलट जाती।
न चाहते हुए भी आयशा को कार रोकनी पड़ी।
" Hello sir।" अनिरुद्ध के वोकी टॉकी पर आवाज आनी शुरू हुई। "पांच लोगों ने ट्रक को रोक लिया है।" इतना कहने के साथ ही सामने से आवाज आनी बंद हो गई।
" अरे नही।" अनिरुद्ध ने झल्लाते हुए कार को जोर से घुसा मारा।
आयशा ने बिना बोले अनिरुद्ध की तरफ देख रही थी।
"दूसरी तिजोरी का जीपीएस सिग्नल बंद हो गया है।"
" ओह नहीं।" आयशा का मुंह खुला ही रह गया था।
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