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टेढ़ी खीर है हिन्दी ब्लॉगिंग से कमाई करना

26 अप्रैल 2022

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मैं वर्ष २००९ से ब्लॉगिंग करती आ रही हूँ। प्रारंभ में हिंदी लिखने में बड़ी कठिनाई आती थी।  लेकिन धीरे-धीरे इसके जानकारों से ब्लॉग पर चर्चा और ईमेल द्वारा पूछ-पूछकर सीखते चले गए। हमने अपना ब्लॉग घर से बाहर एक घर के रूप में बनाया, लेकिन जब देखा कि अरे इसे तो लोग भी पढ़ते हैं और कमेंट भी करते हैं तो मन को अच्छा लगा और लिखने की उत्सुकता में यह सिलसिला चल पड़ा। इस काम में आरंभ से ही मेरे पति ने आगे बढ़कर मेरा हौसला बढ़ाया है और मेरे संपादक से लेकर तकनीकी सलाहकार आज भी वही हैं। क्योंकि इस मामले में हम बहुत कच्चे है। अब तो मेरा बेटा भी इस मामले में बहुत साथ देता है। अब यह तीन का दम है। पहले जहाँ इंटरनेट पर अंग्रेजी भाषा का एकाधिकार समझा जाता था, वहीं आज मकड़जाल की तरह विश्व भर के विभिन्न भाषा-भाषी लोग अपनी बोली, भाषा के साथ स्थानीयता के दायरे से बाहर निकलकर देश-दुनिया भर में अपने कदम निरन्तर बढ़ाते जा रहे हैं। धीरे-धीरे ही सही इंटरनेट के माध्यम से हिन्दी भाषा के प्रचार-प्रसार की दिशा में जिस तेजी से प्रगति हो रही है, उससे लगता है एक दिन विश्व में हिन्दी भाषा लिखने और पढ़ने वालों की सर्वाधिक संख्या देखने को मिलेगी और इसमें हम भी कुछ योगदान दे रहे है, यह सोचकर हम भी खुश हो लेते हैं।

ये तो हुई हमारी थोड़ी सी हिंदी ब्लॉग यात्रा की बात। अब मुद्दे वाली बात यह है कि हमसे बहुत लोग कहते हैं कि आप ब्लॉगिंग करते हो तो उससे कमाई भी होती होगी, कितना कमा लेते हो? लेकिन जब हम उनसे कहते हैं कि नहीं हम तो हिंदी के प्रचार प्रसार और स्वान्ताय सुखाय के लिए लिखते हैं तो वे मुँह बिचका देते हैं।  यद्यपि ५-६ वर्ष लिखने के बाद हमने से जब इंटरनेट पर खूब पढ़ा कि अंग्रेजी ब्लॉगर अपने ब्लॉग से बहुत पैसे कमाते हैं तो हमने भी सोचा एक बार इस दिशा में प्रयत्न कर देखने में हर्ज क्या है।  बस  इसके लिए हमने भी ब्लॉग पर गूगल एडसेन्स लगा दिया, जिससे २-३ माह में लगभग २० डॉलर की कमाई हुई। हम उत्साहित हुए कि अरे पैसे आ रहे हैं तो हमने सोचा क्यों न अपना डोमेन लेकर उस पर ब्लॉग चलाये, जिससे अच्छी-खासी कमाई होंगी और जैसे ही हमने अपना डोमेन लेकर ब्लॉग चलाया तो उससे ट्रैफिक तो जबरदस्त बढ़ा लेकिन गूगल एडसेन्स ने अपना ऐड हमें बहुत से कारण गिनाते हुए हटा दिया। उस समय समाचार पत्रों में ब्लॉग में लिखा खूब छपता था। हमारे  लिखे लेख, कवितायेँ और विशेषकर सामयिक लेख देश के कई प्रतिष्ठित समाचार पत्रों में खूब छपे, लेकिन ब्लॉग से पैसा कमाने वाली बात जो कि आज भी कई जाने-माने ब्लॉगर खूब लिखते हैं कि ऐसा करके, वैसा करके ब्लॉग पर लिखकर खूब कमाया जा सकता है, लेकिन मेरे लिए तो यह बात कम से कम आज भी टेढ़ी खीर ही है।
यद्यपि हमने लेखन को पैसा कमाने का माध्यम बनानी की सोच रखी ही नहीं, फिर भी आजकल शब्द.इन प्लेटफॉर्म के माध्यम से इस दिशा में एक प्रयास जारी है। देखते हैं आगे आगे होता है क्या? खैर जो भी इसका कोई लालच नही, बस हमें तो यह देख मन में बड़ी खुशी  कि शब्द.इन मंच से भले ही पैसा मिले न मिले लेकिन अपने लिखे को किताबों के रूप में छपने का जो सपना वे साकार कर रहे हैं, उससे निश्चित ही हिंदी लिखने वालों में ऊर्जा का संचरण हो रहा है और वे लिखने के लिए उत्साहित हो रहे हैं, जो हिंदी के प्रचार-प्रसार की दिशा में एक सार्थक पहल है। हम भी अपना ब्लॉग भूलकर आजकल यहीं डेरा जमाए बैठे हैं।

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रचनाएँ
दैनंदिनी (कुछ इधर-उधर की) अप्रैल 2022
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आप इस पुस्तक के माध्यम से मेरे आस-पास की कुछ इधर-उधर की नई-पुरानी घटित घटनाओं से दो-चार होंगे।
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कुछ ऐसा हो नववर्ष हमारा

2 अप्रैल 2022
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आज हमारा नववर्ष है इसलिए सबसे पहले सबको हार्दिक शुभकामनाएं। नए वर्ष के लिए कुछ लिखने की उधेड़बुन में बहुत से ख्याल मन में आये लेकिन कुछ अच्छा नहीं लगा तो फिर सोचा क्यों न कुछ जरुरी सबक लिखती चलूँ-   

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एक दृष्टि 'गरीबी में डॉक्टरी'

4 अप्रैल 2022
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दो माह की मेहनत के बाद आखिर पेड पुस्तक लेखन प्रतियोगिता की विजेता बनकर मेरी १० कहानियों का संग्रह पेपर बैक में प्रकाशित होने जा रहा है, तो मन में ख़ुशी है, एक उत्सुकता है। यह प्रतियोगिता यद्यपि सरल तो

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पैसे से सुकून नहीं खरीदा जा सकता है

5 अप्रैल 2022
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शब्द.इन की पेड पुस्तक लेखन प्रतियोगिता (फरवरी- मार्च २०२२) विजेता बनने पर कई परिचित मुझसे एक ही सवाल पूछते हैं कि पुरस्कार में कितनी राशि मिली है। उनके लिए प्रतियोगिता का मतलब पुरस्कार में अच्छी-खासी

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शराबबंदी की राजनीति

6 अप्रैल 2022
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इन दिनों देश के एक प्रदेश में शराब पर राजनीति का घमासान मचा है। इसके एक छोर पर एक पूर्व मुख्यमंत्री हैं, जिनका मानना है कि शराब गरीबों के घर उजाड़ रहे हैं, इसलिए वर्तमान सरकार को शराब पर पूर्ण प्रतिबंध

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लापरवाह लोग प्रकृति को भी दुःख देते हैं

8 अप्रैल 2022
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गर्मी आती है तो सुबह-सुबह घूमना-फिरना लगभग हर दिन का एक जरुरी काम हो जाता है। हमारा हर दिन घूमना मतलब से सीधे श्यामला हिल्स पर स्थित जलेश्वर मंदिर तक यानि मतलब 'मुल्ला की दौड़ मस्जिद तक' वाली है। क

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श्रीराम के आदर्श शाश्वत हैं और जीवन मूल्य आज भी प्रासंगिक हैं

10 अप्रैल 2022
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जब मंद-मंद शीतल सुगंधित वायु प्रवाहित हो रही थी, साधुजन प्रसन्नचित्त उत्साहित हो रहे थे, वन प्रफुल्लित हो उठे, पर्वतों में मणि की खदानें उत्पन्न हो गई और नदियों में अमृत तुल्य जल बहने लगा तब- नवमी ति

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महावीर- आम्बेडकर दिवस विशेष

14 अप्रैल 2022
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आज दो पुण्य आत्माओं की जयंती हैं। इसलिए आज की दैनंदिनी उनके नाम है।   डाॅ. आम्बेडकर- एक ऐसे महापुरुष जो दलितों के मसीहा थे जिन्हें सारा संसार डाॅ. आम्बेडकर के नाम से जानता है। जिन्होंने अपने आदर्शो

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भक्ति और शक्ति के बेजोड़ संगम हैं हनुमान

16 अप्रैल 2022
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चैत्रेमासि सिते मक्षे हरिदिन्यां मघाभिधे। नक्षत्रे स समुत्पन्नो हनुमान रिपुसूदनः।। महाचैत्री पूर्णिमायां समुत्पन्नोऽञ्जनीसुतः। वदन्ति कल्पभेदेन बुधा इत्यादि केचन।।  अर्थात्-चैत्र शुक्ल एकादशी के द

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जितनी ज्यादा अपेक्षा उतना दुःख होता है

20 अप्रैल 2022
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आज शाम जैसे ही ऑफिस से घर पहुँची तो आँगन में देखा कि पड़ोस में रहने वाली अम्मा अपने नाती पर बुरी तरह बिगड़ रही थी। मेरे पूछने पर जमीन पर बिखरे मटके के टुकड़ों की ओर इशारा करते हुए बोली कि 'अभी-अभी एक मटक

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उफ़ ये आजकल के बच्चे भी न

25 अप्रैल 2022
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आज सुबह जब उठकर हाथ-मुँह धोकर के बाद चाय पीने जा रही थी तो उसी समय हमारे एक परिचित पति-पत्नी शादी का कार्ड लेकर आये। कहने लगे कि लड़के की शादी का रिसेप्शन है, जरूर आना। मेरे पूछने पर कि शादी में

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टेढ़ी खीर है हिन्दी ब्लॉगिंग से कमाई करना

26 अप्रैल 2022
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मैं वर्ष २००९ से ब्लॉगिंग करती आ रही हूँ। प्रारंभ में हिंदी लिखने में बड़ी कठिनाई आती थी। लेकिन धीरे-धीरे इसके जानकारों से ब्लॉग पर चर्चा और ईमेल द्वारा पूछ-पूछकर सीखते चले गए। हमने अपना ब्लॉग घर

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शादी और रिश्तेदारी की बातें

27 अप्रैल 2022
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आजकल हर एक-दो दिन बाद किसी न किसी के शादी का न्यौता है। अब शादियों की बात निकली है तो बताती चलूँ कि अभी दो दिन पहले मेरी एक सहेली के बेटे की बारात में खूब मौज-मस्ती, नाच-गाना करके फिर अपनी दुनिया में

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गर्मियों के दिन और बच्चों की परीक्षा

28 अप्रैल 2022
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आजकल गर्मी ने घर-बाहर सभी जगह लोगों का हाल-बेहाल कर रखा है। वसंत के बाद गर्मी शुरू होते ही मंद-मंद चलने वाली हवाएं साँय-साँय कर लू का रूप धारण कर तन को झुलसाने बैठ जाती है। गर्मी में मनुष्य तो छोडो, ध

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हम और हमारा स्वच्छ सर्वेक्षण

29 अप्रैल 2022
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हर दिन सुबह-सुबह नगर निगम की कचरे ढ़ोने वाली गाड़ी लोगों के घरों से कचरा उठाने आती है और स्वच्छता के प्रति जागरूक करते हुए यह गाना जरूर सुनाती है कि- झीलों का शहर भोपाल अपना जन्नत की तरह है घर अपना, 

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हाय ! बुढ़ापा आया पास उसके कोई नहीं फटकते

30 अप्रैल 2022
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आज कुछ मन खट्टा हुआ तो दैनंदिनी के लिए इतना ही कि - बचपन में वह कभी रोता-हँसता कभी उछल-कूद करता कभी खेल-खिलौने छोड़ किसी चीज की हठ कर बैठता उछल-उछल कर सबको विचित्र करतब दिखलाता हँस.-हँस, हसाँ-हसा

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