मैं वर्ष २००९ से ब्लॉगिंग करती आ रही हूँ। प्रारंभ में हिंदी लिखने में बड़ी कठिनाई आती थी। लेकिन धीरे-धीरे इसके जानकारों से ब्लॉग पर चर्चा और ईमेल द्वारा पूछ-पूछकर सीखते चले गए। हमने अपना ब्लॉग घर से बाहर एक घर के रूप में बनाया, लेकिन जब देखा कि अरे इसे तो लोग भी पढ़ते हैं और कमेंट भी करते हैं तो मन को अच्छा लगा और लिखने की उत्सुकता में यह सिलसिला चल पड़ा। इस काम में आरंभ से ही मेरे पति ने आगे बढ़कर मेरा हौसला बढ़ाया है और मेरे संपादक से लेकर तकनीकी सलाहकार आज भी वही हैं। क्योंकि इस मामले में हम बहुत कच्चे है। अब तो मेरा बेटा भी इस मामले में बहुत साथ देता है। अब यह तीन का दम है। पहले जहाँ इंटरनेट पर अंग्रेजी भाषा का एकाधिकार समझा जाता था, वहीं आज मकड़जाल की तरह विश्व भर के विभिन्न भाषा-भाषी लोग अपनी बोली, भाषा के साथ स्थानीयता के दायरे से बाहर निकलकर देश-दुनिया भर में अपने कदम निरन्तर बढ़ाते जा रहे हैं। धीरे-धीरे ही सही इंटरनेट के माध्यम से हिन्दी भाषा के प्रचार-प्रसार की दिशा में जिस तेजी से प्रगति हो रही है, उससे लगता है एक दिन विश्व में हिन्दी भाषा लिखने और पढ़ने वालों की सर्वाधिक संख्या देखने को मिलेगी और इसमें हम भी कुछ योगदान दे रहे है, यह सोचकर हम भी खुश हो लेते हैं।
ये तो हुई हमारी थोड़ी सी हिंदी ब्लॉग यात्रा की बात। अब मुद्दे वाली बात यह है कि हमसे बहुत लोग कहते हैं कि आप ब्लॉगिंग करते हो तो उससे कमाई भी होती होगी, कितना कमा लेते हो? लेकिन जब हम उनसे कहते हैं कि नहीं हम तो हिंदी के प्रचार प्रसार और स्वान्ताय सुखाय के लिए लिखते हैं तो वे मुँह बिचका देते हैं। यद्यपि ५-६ वर्ष लिखने के बाद हमने से जब इंटरनेट पर खूब पढ़ा कि अंग्रेजी ब्लॉगर अपने ब्लॉग से बहुत पैसे कमाते हैं तो हमने भी सोचा एक बार इस दिशा में प्रयत्न कर देखने में हर्ज क्या है। बस इसके लिए हमने भी ब्लॉग पर गूगल एडसेन्स लगा दिया, जिससे २-३ माह में लगभग २० डॉलर की कमाई हुई। हम उत्साहित हुए कि अरे पैसे आ रहे हैं तो हमने सोचा क्यों न अपना डोमेन लेकर उस पर ब्लॉग चलाये, जिससे अच्छी-खासी कमाई होंगी और जैसे ही हमने अपना डोमेन लेकर ब्लॉग चलाया तो उससे ट्रैफिक तो जबरदस्त बढ़ा लेकिन गूगल एडसेन्स ने अपना ऐड हमें बहुत से कारण गिनाते हुए हटा दिया। उस समय समाचार पत्रों में ब्लॉग में लिखा खूब छपता था। हमारे लिखे लेख, कवितायेँ और विशेषकर सामयिक लेख देश के कई प्रतिष्ठित समाचार पत्रों में खूब छपे, लेकिन ब्लॉग से पैसा कमाने वाली बात जो कि आज भी कई जाने-माने ब्लॉगर खूब लिखते हैं कि ऐसा करके, वैसा करके ब्लॉग पर लिखकर खूब कमाया जा सकता है, लेकिन मेरे लिए तो यह बात कम से कम आज भी टेढ़ी खीर ही है।
यद्यपि हमने लेखन को पैसा कमाने का माध्यम बनानी की सोच रखी ही नहीं, फिर भी आजकल शब्द.इन प्लेटफॉर्म के माध्यम से इस दिशा में एक प्रयास जारी है। देखते हैं आगे आगे होता है क्या? खैर जो भी इसका कोई लालच नही, बस हमें तो यह देख मन में बड़ी खुशी कि शब्द.इन मंच से भले ही पैसा मिले न मिले लेकिन अपने लिखे को किताबों के रूप में छपने का जो सपना वे साकार कर रहे हैं, उससे निश्चित ही हिंदी लिखने वालों में ऊर्जा का संचरण हो रहा है और वे लिखने के लिए उत्साहित हो रहे हैं, जो हिंदी के प्रचार-प्रसार की दिशा में एक सार्थक पहल है। हम भी अपना ब्लॉग भूलकर आजकल यहीं डेरा जमाए बैठे हैं।