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श्रीराम के आदर्श शाश्वत हैं और जीवन मूल्य आज भी प्रासंगिक हैं

10 अप्रैल 2022

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जब मंद-मंद शीतल सुगंधित वायु प्रवाहित हो रही थी, साधुजन प्रसन्नचित्त उत्साहित हो रहे थे, वन प्रफुल्लित हो उठे, पर्वतों में मणि की खदानें उत्पन्न हो गई और नदियों में अमृत तुल्य जल बहने लगा तब-

नवमी तिथि मधुमास पुनीता सुक्ल पक्ष अभिजित हरि प्रीता।

मध्यदिवस अति सीत न घामा पावन काल लोक विश्रामा।।

          अर्थात- चैत्र के पवित्र माह की अभिजित शुभ तिथि शुक्ल पक्ष की नवमी को जब न बहुत शीत थी न धूप थी, सब लोक को विश्राम देने वाला समय था, ऐसे में विश्वकर्मा द्वारा रचित स्वर्ग सम अयोध्या पुरी में रघुवंशमणि परम धर्मात्मा, सर्वगुण विधान, ज्ञान हृदय में भगवान की पूर्ण भक्ति रखने वाले महाराज दशरथ के महल में-

भये प्रगट कृपाला दीनदयाला कौसल्या हितकारी

हरषित महतारी मुनि मन हारी अद्भुत रूप बिचारी।।

लोचन अभिरामा तनु घनस्यामा निज आयुध भुज चारी।

भूषन वनमाला नयन बिसाला सोभासिन्धु खरारी।।

         ईश्वर जन्म नहीं अपितु अवतरित होते हैं, इसका मानस में बहुत सुन्दर वर्णन मिलता है। जब माता कौशल्या के सम्मुख भगवान विष्णु चतुर्भुज रूप में अवतरित हुए तो उन्होंने अपने दोनों हाथ जोड़कर कहा कि हे तात! मैं आपकी स्तुति किस प्रकार से करूं! आपका अन्त नहीं है, आप माया-मोह, मान-अपमान से परे हैं, ऐसा वेद और पुराण कहते हैं। आप करूणा और गुण के सागर हैं, भक्त वत्सल हैं। मेरी आपसे यही विनती है कि अपने चतुर्भुज रूप को त्याग हृदय को अत्यन्त सुख देने वाली बाल लीला कर मुझे लोक के हंसी-ठट्ठा से बचाकर जग में आपकी माँ कहलाने का सौभाग्य प्रदान करो।

सुनि बचन सुजाना रोदन ठाना होइ बालक सुरभूपा।

यह चरित जे गावहिं हरिपद पावहिं ते न परहिं भवकूपा।।

श्रीराम का त्रेतायुग में दिया गया भारत के भावी शासकों के प्रति सन्देश आज भी कितना सार्थक है, देखिए -

"भूयो भूयो भाविनो भूमिपाला: नत्वान्नत्वा याच्तेरारामचंद्र

सामान्योग्य्म धर्म सेतुर्नराणा काले-काले पालनियों भवदभि:"

अर्थात हे! भारत के भावी पालो! मैं तुमसे अपने उत्तराधिकार के रूप में यही चाहता हूँ की वेदशास्त्रों के सिंद्धांतों की रक्षा हेतु जिस मर्यादा को मैंने स्थापित किया उसका तुम निरंतर पालन करना. वस्तुत: नीतिभ्रष्टता के समकालीन बवंडर में समाज को स्वामित्व प्रदान करने के लिए सनातन धर्म के चिरंतन आदर्शों के प्रतीक श्रीराम के चरित्र से ही प्रेरणा प्राप्त करना चाहिए क्योंकि श्रीराम के आदर्श शाश्वत और जीवन मूल्य कालजयी होने के कारण आज भी प्रासंगिक हैं।  

सबको रामनवमी की हार्दिक मंगलकामनाएं!

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रचनाएँ
दैनंदिनी (कुछ इधर-उधर की) अप्रैल 2022
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आप इस पुस्तक के माध्यम से मेरे आस-पास की कुछ इधर-उधर की नई-पुरानी घटित घटनाओं से दो-चार होंगे।
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कुछ ऐसा हो नववर्ष हमारा

2 अप्रैल 2022
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आज हमारा नववर्ष है इसलिए सबसे पहले सबको हार्दिक शुभकामनाएं। नए वर्ष के लिए कुछ लिखने की उधेड़बुन में बहुत से ख्याल मन में आये लेकिन कुछ अच्छा नहीं लगा तो फिर सोचा क्यों न कुछ जरुरी सबक लिखती चलूँ-   

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एक दृष्टि 'गरीबी में डॉक्टरी'

4 अप्रैल 2022
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दो माह की मेहनत के बाद आखिर पेड पुस्तक लेखन प्रतियोगिता की विजेता बनकर मेरी १० कहानियों का संग्रह पेपर बैक में प्रकाशित होने जा रहा है, तो मन में ख़ुशी है, एक उत्सुकता है। यह प्रतियोगिता यद्यपि सरल तो

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पैसे से सुकून नहीं खरीदा जा सकता है

5 अप्रैल 2022
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शब्द.इन की पेड पुस्तक लेखन प्रतियोगिता (फरवरी- मार्च २०२२) विजेता बनने पर कई परिचित मुझसे एक ही सवाल पूछते हैं कि पुरस्कार में कितनी राशि मिली है। उनके लिए प्रतियोगिता का मतलब पुरस्कार में अच्छी-खासी

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शराबबंदी की राजनीति

6 अप्रैल 2022
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इन दिनों देश के एक प्रदेश में शराब पर राजनीति का घमासान मचा है। इसके एक छोर पर एक पूर्व मुख्यमंत्री हैं, जिनका मानना है कि शराब गरीबों के घर उजाड़ रहे हैं, इसलिए वर्तमान सरकार को शराब पर पूर्ण प्रतिबंध

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लापरवाह लोग प्रकृति को भी दुःख देते हैं

8 अप्रैल 2022
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गर्मी आती है तो सुबह-सुबह घूमना-फिरना लगभग हर दिन का एक जरुरी काम हो जाता है। हमारा हर दिन घूमना मतलब से सीधे श्यामला हिल्स पर स्थित जलेश्वर मंदिर तक यानि मतलब 'मुल्ला की दौड़ मस्जिद तक' वाली है। क

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श्रीराम के आदर्श शाश्वत हैं और जीवन मूल्य आज भी प्रासंगिक हैं

10 अप्रैल 2022
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जब मंद-मंद शीतल सुगंधित वायु प्रवाहित हो रही थी, साधुजन प्रसन्नचित्त उत्साहित हो रहे थे, वन प्रफुल्लित हो उठे, पर्वतों में मणि की खदानें उत्पन्न हो गई और नदियों में अमृत तुल्य जल बहने लगा तब- नवमी ति

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महावीर- आम्बेडकर दिवस विशेष

14 अप्रैल 2022
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आज दो पुण्य आत्माओं की जयंती हैं। इसलिए आज की दैनंदिनी उनके नाम है।   डाॅ. आम्बेडकर- एक ऐसे महापुरुष जो दलितों के मसीहा थे जिन्हें सारा संसार डाॅ. आम्बेडकर के नाम से जानता है। जिन्होंने अपने आदर्शो

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भक्ति और शक्ति के बेजोड़ संगम हैं हनुमान

16 अप्रैल 2022
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चैत्रेमासि सिते मक्षे हरिदिन्यां मघाभिधे। नक्षत्रे स समुत्पन्नो हनुमान रिपुसूदनः।। महाचैत्री पूर्णिमायां समुत्पन्नोऽञ्जनीसुतः। वदन्ति कल्पभेदेन बुधा इत्यादि केचन।।  अर्थात्-चैत्र शुक्ल एकादशी के द

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जितनी ज्यादा अपेक्षा उतना दुःख होता है

20 अप्रैल 2022
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आज शाम जैसे ही ऑफिस से घर पहुँची तो आँगन में देखा कि पड़ोस में रहने वाली अम्मा अपने नाती पर बुरी तरह बिगड़ रही थी। मेरे पूछने पर जमीन पर बिखरे मटके के टुकड़ों की ओर इशारा करते हुए बोली कि 'अभी-अभी एक मटक

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उफ़ ये आजकल के बच्चे भी न

25 अप्रैल 2022
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आज सुबह जब उठकर हाथ-मुँह धोकर के बाद चाय पीने जा रही थी तो उसी समय हमारे एक परिचित पति-पत्नी शादी का कार्ड लेकर आये। कहने लगे कि लड़के की शादी का रिसेप्शन है, जरूर आना। मेरे पूछने पर कि शादी में

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टेढ़ी खीर है हिन्दी ब्लॉगिंग से कमाई करना

26 अप्रैल 2022
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मैं वर्ष २००९ से ब्लॉगिंग करती आ रही हूँ। प्रारंभ में हिंदी लिखने में बड़ी कठिनाई आती थी। लेकिन धीरे-धीरे इसके जानकारों से ब्लॉग पर चर्चा और ईमेल द्वारा पूछ-पूछकर सीखते चले गए। हमने अपना ब्लॉग घर

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शादी और रिश्तेदारी की बातें

27 अप्रैल 2022
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आजकल हर एक-दो दिन बाद किसी न किसी के शादी का न्यौता है। अब शादियों की बात निकली है तो बताती चलूँ कि अभी दो दिन पहले मेरी एक सहेली के बेटे की बारात में खूब मौज-मस्ती, नाच-गाना करके फिर अपनी दुनिया में

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गर्मियों के दिन और बच्चों की परीक्षा

28 अप्रैल 2022
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आजकल गर्मी ने घर-बाहर सभी जगह लोगों का हाल-बेहाल कर रखा है। वसंत के बाद गर्मी शुरू होते ही मंद-मंद चलने वाली हवाएं साँय-साँय कर लू का रूप धारण कर तन को झुलसाने बैठ जाती है। गर्मी में मनुष्य तो छोडो, ध

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हम और हमारा स्वच्छ सर्वेक्षण

29 अप्रैल 2022
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हर दिन सुबह-सुबह नगर निगम की कचरे ढ़ोने वाली गाड़ी लोगों के घरों से कचरा उठाने आती है और स्वच्छता के प्रति जागरूक करते हुए यह गाना जरूर सुनाती है कि- झीलों का शहर भोपाल अपना जन्नत की तरह है घर अपना, 

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हाय ! बुढ़ापा आया पास उसके कोई नहीं फटकते

30 अप्रैल 2022
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आज कुछ मन खट्टा हुआ तो दैनंदिनी के लिए इतना ही कि - बचपन में वह कभी रोता-हँसता कभी उछल-कूद करता कभी खेल-खिलौने छोड़ किसी चीज की हठ कर बैठता उछल-उछल कर सबको विचित्र करतब दिखलाता हँस.-हँस, हसाँ-हसा

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