हर दिन सुबह-सुबह नगर निगम की कचरे ढ़ोने वाली गाड़ी लोगों के घरों से कचरा उठाने आती है और स्वच्छता के प्रति जागरूक करते हुए यह गाना जरूर सुनाती है कि-
झीलों का शहर भोपाल अपना
जन्नत की तरह है घर अपना,
जहाँ स्वच्छता आदत है,
जहाँ स्वच्छता इबादत है,
हमारी जुम्मेदारी है,
हमारी साझेदारी हैं,
सुन्दर स्वच्छ भोपाल........................
लेकिन बहुत लोगों को यह गाना रास नहीं आता है। उनका कहना होता है कि हर दिन एक ही गाना सुना-सुना कर नगर निगम वाले उन्हें सुबह-सुबह पका देते हैं। ऐसे लोग उन्हें तो बड़ी आसानी से कह देते हैं लेकिन खुद सुधरने का नाम नहीं लेते। मैं दूर क्यों जाऊँ हमारे मोहल्ले में ही हमें छोड़कर कोई भी गीला कचरा और सूखा कचरा उनके लाख कहने पर लोग एक ही पन्नी में डाल कर दे देते हैं। इस बारे में मैं भी कहते-कहते हार मान बैठी, आखिर सरकारी मोहल्ले का सवाल जो है। लेकिन आज ही मैंने अखबार में पढ़ा कि अब भोपाल नगर निगम सार्वजनिक स्थानों पर अवैध रूप से पोस्टर, पम्पलेट,स्टीकर, फ्लैक्स, बोर्ड लगाना या फिर पेंटिंग कराने वालों पर सीधे एफआईआर दर्ज कराएगी। यह बहुत अच्छी बात है। आजकल स्वच्छ सर्वेक्षण २०२२ में टॉप पर आने के लिए बड़े-बड़े शहर जोर आजमाइश कर रहे हैं। सुना है इस जोर आजमाइश में अपना भोपाल टॉप-५ स्वच्छ शहरों की दौड़ में शामिल है। अभी स्वच्छ सर्वेक्षण के फील्ड वैरिफिकेशन होने के बाद अब स्टार रेटिंग और वाटर+ टीमें आकर सर्वे कर अंक और रेटिंग देने वाले हैं। इसी के चलते निगम ने सख्ती शुरू की है और अपने अमले को सड़कों पर उतारा है। इसी का सुखद परिणाम है कि हमें शहर की अधिकांश सड़कों की दीवारों पर स्वच्छता, पर्यावरण और पानी से जुडी हुई कई मनोरम पेंटिंग दिखाई दे रही है। इसके साथ ही उनके द्वारा जो नए इनोवेशन किये गए हैं वे भी बड़े दर्शनीय है। इनमें प्रभात चौराहे पर ३० हज़ार वेस्ट प्लास्टिक बोतल और ३ तन मलबे से बनाई गयी वैक्सीन देखने लायक है। इसी दिशा में उनके द्वारा कई पार्कों का भी उद्धार किया गया है, जहाँ हमें छुट्टी के दिन बच्चों के संग घूमना आजकल बहुत भा रहा है। सोचती हूँ काश! यह स्वच्छता सर्वेक्षण साल भर चलता रहता तो शायद नगर निगम वीआईपी और वीआईआईपी एरिया को चमकाने के बाद एक दिन गरीब बस्तियों तक भी पहुँच ही जाते।
इस बारे में आपके शहर के बारे में आप क्या कहाँ चाहेंगे?