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तुम्हारी चाहत

25 सितम्बर 2021

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तुम्हारी चाहत में हम इतना मशरूफ हो गए
की जवानी नींद भी अपनी तुम्हारे नाम कर बैठे ,
जब जब कलम उठाई कुछ लिखने को स्याही भी तेरा नाम लिख बैठी ,
देखो तुम हम तुम्हरी चाहत में परवाने हो गए ।।

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