उत्तरा : एक खंडकाव्य उत्तरा विश्व प्रसिद्ध महाकाव्य महाभारत का एक उपेक्षित स्त्री पात्र है l इस खंडकाव्य में उसके जीवन चरित्र के संबंध में कुछ उपेक्षित तत्वों को उकेरा गया है l उत्तरा महापराक्रमी अर्जुन की शिष्या के रूप में प्रस्तुत की गई l किन्तु महाभारत के युद्ध में पांडवो की विजय में उसका कितना योगदान था यह कोई नहीं जानता l इस खंडकाव्य में इसी तथ्य को बताने का अथक प्रयास किया गया है l इसके अतिरिक्त उसका विवाह जब अभिमन्यु के सँग हो जाता है तत्पश्चात अभिमन्यु की निर्मम हत्या पर उसके असीम दुःख को कौन सोचने वाला था, वह स्वयं l मानव के दुखों का संताप केवल उसी को होता है शेष तो सहानुभूति के आने जाने वाले पथिक की भांति होता है l आपके सम्मुख एक प्रयास है l ✍️ रचनाकार l अजय श्रीवास्तव 'विकल'
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