किसी एक को तो उस की आवाज़ सुनाई दी होगी. वो चीख रही होगी बहुत जोर से चिल्लाई भी होगी, बाप भाई और दोस्त जैसा कोई नहीं था आस पास, बार बार माँ बहन की कसमें उसने दिलाई भी होगी. कैसी दरिंदगी कैसा घिनौना कृत्य किया ज़ालिमों ने, शरीर उसका था, अंतरात्मा अपनी जलाई भी होगी. बेह
विदाई की वेदना में असह्य से गुजरते हुए ये क्षण!भर आई हैं आखें, चरमराया सा है